मणिपुर में उपद्रवियों ने CRPF की बस में आग लगाई: आगजनी से पहले जवानों को उतारा; शाह की हाईलेवल मीटिंग के बाद की घटना

इंफाल2 घंटे पहले

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बस मैतेई समुदाय के एक व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड थी। लोकसभा चुनाव के बाद CRPF जवान कांगपोकपी जिला मुख्यालय लौट रहे थे।

दिल्ली में सोमवार 17 जून को मणिपुर की सुरक्षा व्यवस्था पर गृह मंत्री अमित शाह हाईलेवल मीटिंग कर रहे थे। उसी दिन रात 9 बजे मणिपुर के कांगपोकपी जिले में सोमवार रात 9 बजे उपद्रवियों ने CRPF जवानों के बस में आग लगा दी। हालांकि, उन्होंने पहले CRPF जवानों को बस से उतार दिया था।

पुलिस ने बताया कि दमकल गाड़ी ने तुरंत आग बुझा दी। घटना में कोई हताहत नहीं हुआ। राजधानी इंफाल से 45 किलोमीटर दूर कांगपोकपी पुलिस स्टेशन में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जवान लोकसभा चुनाव के बाद लौट रहे थे।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि उन्होंने कुकी बहुल जिले में कुछ संदिग्धों से पूछताछ की है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जवानों को ले जा रही बस किराए पर थी और यह घाटी के मैतेई समुदाय के एक व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड थी।

सूत्रों के मुताबिक, पिछले सप्ताह मैतेई बहुल बिष्णुपुर जिले में दो ट्रकों को जलाने की घटना के बाद कुकी बहुल इलाके में इस घटना को बदले के तौर पर देखा जा रहा है। ट्रक चुराचांदपुर में एक पुल बनाने के लिए निर्माण सामग्री ले जा रहा था।

शाह की बैठक में क्या हुआ

16 जून को हुई मीटिंग में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद थे।

16 जून को हुई मीटिंग में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद थे।

मणिपुर हिंसा और राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सोमवार (17 जून) को गृह मंत्री अमित शाह की दिल्ली में बैठक हुई। इसमें तय हुआ है कि गृह मंत्रालय मैतेई और कुकी समुदाय से बात करेगा। गृह मंत्री शाह ने राज्य के मुख्य सचिव विनीत जोशी को विस्थापितों के लिए उचित स्वास्थ्य-शिक्षा सुविधाएं और उनके पुनर्वास को सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।

गृह मंत्रालय को ओर से जारी बयान में कहा गया कि जरूरत पढ़ने पर राज्य में सेंट्रल फोर्सेस की तैनाती बढ़ाई जाएगी। राज्य में शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए बलों को रणनीतिक रूप से तैनात किया जाना चाहिए।साथ ही मणिपुर में हिंसा फैलाने वालों को खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

शाह की बैठक में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरो प्रमुख तपन डेका, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह, मणिपुर के मुख्य सचिव विनीत जोशी, मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह और असम राइफल्स के डीजी प्रदीप चंद्रन नायर शामिल हुए थे।

मणिपुर के हालात पर यह हाईलेवल मीटिंग राज्यपाल अनुसुइया उइके की गृह मंत्री से मुलाकात के एक दिन बाद बुलाई गई थी। अनुसुइया ने शाह से मुलाकात के दौरान पूर्वोत्तर राज्य की मौजूदा स्थितियों के बारे में जानकारी दी थी।

RSS चीफ भी मणिपुर हिंसा को सुलझाने की बात कह चुके

मोदी कैबिनेट के शपथ लेने के एक दिन बाद 10 जून को RSS चीफ मोहन भागवत ने कहा था- मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है। बीते 10 साल से राज्य में शांति थी, लेकिन अचानक से वहां गन कल्चर बढ़ गया। जरूरी है कि इस समस्या को प्राथमिकता से सुलझाया जाए।

इससे एक दिन पहले (रविवार 16 जून) ही गृह मंत्री शाह ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा को लेकर हाई लेवल मीटिंग की थी। इसमें उन्होंने अधिकारियों को आतंकवाद और आतंकियों के मददगारों पर सख्त एक्शन के निर्देश दिए हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए- क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

  • कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
  • मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
  • नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
  • सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

मणिपुर में 67 हजार लोग विस्थापित हुए
जिनेवा के इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर (IDMC) ने रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि साल 2023 में साउथ एशिया में 69 हजार लोग विस्थापित हुए। इनमें से 97 फीसदी यानी 67 हजार लोग मणिपुर हिंसा के कारण विस्थापित हुए थे। रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत में साल 2018 के बाद हिंसा के कारण पहली बार इतनी बड़ी संख्या में विस्थापन देखने को मिला।

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