भास्कर ओपिनियन: नई लोकसभा, नए प्रतिनिधि, ​​​​​​​शपथ ग्रहण में नीट की गूंज

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2 घंटे पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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नई लोकसभा के नए सदस्यों ने शपथ ले ली। जो बाक़ी हैं उनकी शपथ मंगलवार को होगी। इस बार नई लोकसभा के पहले सत्र के पहले दिन की सबसे ख़ास बात यह रही कि इंडिया अलायंस के सभी चुने हुए सदस्य अपने हाथ में संविधान की किताब लेकर आए थे। सही भी है, उन्हें लगता है कि संविधान बचाने का नारा देकर ही वे खुद को या ये कहें कि विपक्ष को इतना मज़बूत कर पाए हैं। यही वजह है कि वे इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहते। वर्ना इससे पहले तो विपक्ष नाम मात्र का रह गया था।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के शपथ लेने के दौरान जब वे गैलरी से पोडियम की ओर बढ़ रहे थे, तब विपक्षी सांसदों ने NEET-NEET, शेम-शेम के नारे लगाए थे।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के शपथ लेने के दौरान जब वे गैलरी से पोडियम की ओर बढ़ रहे थे, तब विपक्षी सांसदों ने NEET-NEET, शेम-शेम के नारे लगाए थे।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जब शपथ ग्रहण करने के लिए उठे तो विपक्ष ने जमकर नारेबाज़ी की। दरअसल, नीट में हुई धांधली को लेकर विपक्ष पहले से ही हमलावर है। शिक्षा मंत्री के सामने उसने नीट- नीट चिल्लाना शुरू कर दिया। ताजा हालात में विपक्ष के पास नीट ही सबसे बड़ा ऐसा मुद्दा है जिसपर वह सरकार को घेर सकता है। वैसे भी सरकार इस मामले में फ़िलहाल कोई निर्णय नहीं कर पा रही है।

हालाँकि मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। इस बीच कुछ कार्रवाई सरकार की तरफ़ से भी की गई है लेकिन नीट को रद्द करके दोबारा परीक्षा करवाने के निर्णय तक अभी पहुँचा नहीं जा सका है। शायद सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर ही निर्भर है। वह अपनी तरफ़ से नीट रद्द करने से बच रही है।

PM जब शपथ लेने पहुंचे तो राहुल गांधी ने उन्हें संविधान की कॉपी दिखाई।

PM जब शपथ लेने पहुंचे तो राहुल गांधी ने उन्हें संविधान की कॉपी दिखाई।

बहरहाल, यह सही है कि पहले राजस्थान में हुई कई परीक्षाओं के पर्चे लीक हुए और अब केंद्रीय एजेंसियों द्वारा करवाई जाने वाली परीक्षाओं में निकल रही नई- नई धाँधलियों ने बच्चों और उनके पेरेंट्स के मन में भ्रांति पैदा कर दी है। कोई भी प्रतियोगी परीक्षा से पहले बच्चों को यह शंका रहती है कि कहीं पर्चे लीक न हो जाएँ वर्ना दोबारा फिर परीक्षा देनी पड़ेगी और साल ख़राब होगा से अलग!

ऐसे मामलों में सरकारें जब तक तुरंत कार्रवाई करने के मोड पर नहीं आएँगी तब तक ढर्रा बदलने वाला नहीं है। बच्चों और उनके पेरेंट्स के मन में विश्वास पैदा करना तो बहुत दूर की बात है।

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