भास्कर एक्सप्लेनर: चीन-अमेरिका जैसे 17 देश बना चुके जैविक हथियारों का जखीरा, भारत इनसे दूर

15 घंटे पहले

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वायरस से लड़े जाने वाला युद्ध जैविक या बायोलॉजिकल वॉर कहलाता है।

सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने बिम्सटेक देशों को जैविक युद्ध के प्रति आगाह करते हुए इसके खिलाफ तैयार होने की अपील की है। सीडीएस ने जिस जैविक युद्ध की तरफ इशारा किया वह सदियों पुराना है। जानते हैं युद्ध व हथियार कितने खतरनाक हैं…

जैविक युद्ध क्या है?
वायरस से लड़े जाने वाला युद्ध जैविक या बायोलॉजिकल वॉर कहलाता है। जैविक हथियार कम समय में बहुत बड़े क्षेत्र में तबाही मचा सकते हैं। इन हथियारों से आशय उन कारकों से है, जो लोगों में बीमारियां पैदा कर दें। शिकार हुए लोग मरने लगें। अपंग या मनोरोगी हो जाएंं।
जैविक हथियारों का इस्तेमाल कब, कहां हुआ?
जैविक हथियारों का पहला इस्तेमाल 1347 में हुआ था। तब मंगोल सेना ने प्लेग से संक्रमित शव काफा (अब यूक्रेन के फ्यूडोसिया) के ब्लैक सी के तट पर फेंके थे। जहाजों से बड़ी संख्या में लोग संक्रमित होकर तब इटली लौटे। ब्लैक डेथ महामारी फैली। 4 साल में यूरोप में 2.5 करोड़ लोग मृत।

  • 1710 में स्वीडन सेना से लड़ रही रूसी फौज ने एस्टोनिया के तालिन में घेरकर उन पर प्लेग संक्रमित शव फेंके थे।
  • 1763 में ब्रिटिश सेना ने पिट्सबर्ग में डेलावेयर इंडियन को घेरकर चेचक वायरस से संक्रमित कंबल फेंके थे।

विश्वयुद्ध में प्रयोग हुआ?
हां, जर्मनी ने पहले विश्वयुद्ध में एन्थ्रेक्स नामक जैव का इस्तेमाल किया था। उसने दुश्मनों के घोड़ों व मवेशियों को संक्रमित करने के लिए गुप्त कार्यक्रम चलाया। सेंट पीटर्सबर्ग में प्लेग फैलाने की कोशिश की। जापान ने टाइफाइड वाले वाइरस को सोवियत की जल आपूर्ति वाले पाइपों में मिला दिया था। ये पहला युद्ध था, जब दोनों पक्षों ने जैव हथियार प्रयोग किए।
जैविक युद्ध रोकने के लिए दुनिया ने क्या प्रयास किए?
विश्व युद्ध में जैविक हथियारों के इस्तेमाल के बाद अधिकांश देशों इन पर रोक लगाने के लिए जिनेवा प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। 1972 में बायोलॉजिकल वेपंस कन्वेंशन हुआ। ये 1975 में लागू हो गया।
क्या भारत ने ऐसे जैविक हथियार विकसित किए?
नहीं, भारत ने ऐसे किसी भी प्रकार के हथियार नहीं बनाए हैं। इन्हें विकसित करने वालों में जर्मनी, अमेरिका, रूस, चीन जैसे 17 देश शामिल हैं।
क्या कोरोना भी वैसा ही जैविक हथियार है?
कोरोना फैलने के साथ ही चीन पर बीते साल से ही आरोप लग रहे हैं कि उसने इस वायरस को जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। हालांकि इसकी आज तक पुष्टि नहीं हो सकी।
पेंटागन रिपोर्ट में क्या था?
अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की हाल में जारी रिपोर्ट के मुताबिक चीन लगातार अपना बायोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है। उसके सैन्य संस्थान भी अलग-अलग तरह के टॉक्सिन पर काम कर रहे हैं जिनका दोहरा इस्तेमाल करता है। अमेरिका दोहरे इस्तेमाल को जैविक- खतरा मानता है।

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