बहादुरगढ़ के योगेश ने टोक्यो में जीता रजत पदक: डिस्कस थ्रो में सिल्वर जीतने पर घर में आतिशबाजी के साथ बजे ढोल; कराया मुंह मीठा, योगेश 2006 में हुआ था पैरालाइज्ड

झज्जर9 घंटे पहले

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बहादुरगढ़ में योगेश के घर मेडल जीतने के बाद पटाखे फोड़ते हुए।

टोक्यो में चल रहे पैरालिंपिक में बहादुरगढ़ शहर के योगेश कथूनिया ने डिस्कस थ्रो में रजत पदक जीता हैं। योगेश के रजत पदक जीतने की खबर के बाद योगेश के घर में खुशी का माहौल है। घर के बाहर ढोल की थाप पर लोग नाच रहे है। इतना ही नहीं लोगों ने आतिशबाजी भी की। योगेश के परिजनों की खुशी में भाजपाई भी शामिल हुए। बहादुरगढ़ के पूर्व विधायक नरेश कौशिक सहित अन्य भाजपा नेताओं ने योगेश के परिजनों के साथ ढोल की थाप पर नाचते हुए अपनी खुशी का इजहार किया। सभी ने एक-दूसरे को इस खुशी में लड्डू खिलाकर मुंह मीठा कराया।

बता दें कि योगेश कथूनिया बहादुरगढ़ की रहने वाले है। साल 2006 में योगेश को पैरालाइसिस हुआ था। 2016 में योगेश ने डिस्कस थ्रो खेलना शुरू किया। योगेश के दादा हुकम चंद सेना में सूबेदार और पिता सेना में कैप्टन पर पर रहकर देश की सेवा कर चुके है।। परिजनों का कहना था कि उनके बेटे योगेश द्वारा टोक्यो के पैरा ओलम्पिक में रजत पदक जीतने पर बहादुरगढ़ शहर, जिला झज्जर व हरियाणा को ही नहीं बल्कि पूरे देश को गर्व है। कारण कि योगेश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया है। परिजनों ने यह भी बताया कि योगेश पिछले डेढ़ साल से प्रैक्टिस के चलते घर नहीं आ सका था। लेकिन अब जब वह घर लौटेगा तो उसका जोरदार स्वागत किया जाएगा।

पैरा एथलीट योगेश कथूरिया।

पैरा एथलीट योगेश कथूरिया।

पहले प्रयास विफल रहने के बाद वापसी की

डिस्कस थ्रो के इस F56 इवेंट में हर एथलीट को कुल 6 थ्रो मिले थें। योगेश का पहला प्रयास विफल रहा, इसके बाद उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 42.84 मीटर तक चक्का फेंका। दो राउंड के बाद योगेश दूसरे स्थान पर बने हुए थे। हालांकि तीसरे और चौथे राउंड में योगेश कोई भी स्कोर करने में विफल रहे और तीसरे स्थान पर खिसक गए। पांचवें राउंड में उन्होंने 43.55 मीटर की दूरी तक चक्का फेंक एक बार फिर सिल्वर मेडल पोजिशन पर वापसी की। अंतिम राउंड में योगेश ने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करते हुए 44.38 मीटर की दूरी तक चक्का फेंक और सिल्वर मेडल अपने नाम कर लिया।

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