बसताड़ा टोल पर लाठीचार्ज का मामला: मृतक सुशील काजल के परिवार के बेटे और बहू को शुगर मिल में मिल सकती है नौकरी; प्रशासन ने भाकियू नेताओं को भेजी जानकारी

करनाल11 घंटे पहले

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हरियाणा के करनाल जिले में बसताड़ा टोल पर लाठीचार्ज मामले में मृतक सुशील के परिवार के दो सदस्यों को सोमवार को नौकरी मिल सकती है, जो शुगर मिल में हो सकती है। मृतक के बेटे को साहिल को भाकियू नेताओं ने इस बारे में जानकारी दी है। उन्हें प्रशासन ने सोमवार को ज्वॉइनिंग करवाने के आश्वासन का संदेश भेजा है।

10 सितंबर की रात साढ़े 9 बजे तक चली प्रशासन और किसानों के बीच की वार्ता में तय हुआ था कि मृतक सुशील के परिवार को दो नौकरी दी जाएगी। इस मांग को 7 दिन में पूरा कर दिया जाएगा। प्रशासन इन 7 दिनों को वर्किंग दिनों में काउंट कर रहा है। 7 दिन सोमवार को ही पूरे हो रहे हैं और सोमवार को ही ज्वॉइनिंग की बात कही गई है।

अब परिवार में 4 सदस्य…
मृतक सुशील काजल के पिता के पास 6 एकड़ जमीन थी, जो चारों भाइयों में बंटी। डेढ़ एकड़ एक के हिस्सा में आई। सुशील के जाने के बाद उसके परिवार में चार सदस्य हैं। बुजुर्ग माता, पत्नी, बेटा और पुत्रवधू। सुशील ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी। इसके बाद खेती करके परिवार का गुजारा चला रहा था। साहिल की वर्ष 2019 में करनाल निवासी रितु के साथ शादी हुई थी। इसी दौरान सुशील की बहन की भी शादी हो गई है, जो अपनी ससुराल में है।

सुशील की तबीयत ठीक नहीं थी…
परिजनों ने बताया कि 28 अगस्त को जब सुशील बसताड़ा टोल पर हुए लाठीचार्ज के बाद घर पर आया तो उसके कपड़े मिट्‌टी में सने हुए थे। खून के छींटे भी लगे थे। तबीयत भी ठीक नहीं थी। लाठीचार्ज के दौरान लगी चोटों के कारण उसकी मौत हुई है।

कब क्या हुआ, जानिए…
28 अगस्त को करनाल शहर में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में प्रदेश स्तरीय बैठक थी। इस दिन पूरे शहर को प्रशासन व पुलिस ने नाकाबंदी करके बंद किया हुआ था। इस दौरान बसताड़ा टोल पर भी नाका लगा था। वहां पर मौजूद किसानों ने शांतिपूर्वक विरोध करने के लिए शहर में जाना चाहा। लेकिन पुलिस ने उन्हें वहीं पर रोका दिया तो उन्होंने हाईवे पर जाम लगा दिया। जाम खुलवाने के लिए पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज किया। इसी दौरान डयूटी मजिस्ट्रेट आयुष सिन्हा का सिर फोड़ने वाले बयान का वीडियो वायरल हुआ। 29 को रायपुर जाटान निवासी सुशील काजल की मौत हो गई। 30 अगस्त को किसानों ने घरौंडा की अनाज मंडी में महापंचायत करके तीन मांगें सरकार के सामने रखी, जिन्हें पूरा करने का 7 दिन का समय दिया। मांगें पूरी न होने पर 7 सितंबर को अनाज मंडी करनाल में महापंचायत के बाद सचिवालय का घेराव किया गया। 10 सितंबर की रात को प्रशासन व किसानों के बीच समझौता हो गया, जिसे 11 सितंबर को संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुनाया गया।

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