फिर पूरे देश में प्रदर्शन करेंगे किसान: लखीमपुर खीरी मामले में मंत्री की गिरफ्तारी को लेकर, देश में प्रदर्शन करेंगे किसान, राष्ट्रपति के नाम पर दिया जाएंगे ज्ञापन

लुधियानाएक घंटा पहले

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लखीमपुर खीरी में हुए हादसे के बाद मारे गए चार किसानों और एक पत्रकार के मामले में किसान पूरे देश में अलग अलग जगहों पर प्रदर्शन करने जा रही है। यह प्रदर्शन मंगलवार को किए जाने हैं और इसके बाद राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन संबंधित एसडीएम, तहसीलदार और डिप्टीकमिश्नर को सौंपे जाएंगे। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने जानकारी देते हुए बताया कि लखीमपुर खीरी में सुनोयोजित ढंग से चार किसानों और पत्रकार की हत्या कर दी गई थी। इसके आरोपी मंत्री को गिरफ्तार करने के लिए, 11 माह से चल रहे संघर्ष के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों की सहायता और एमएसपी बिल के लिए पूरे भारत में प्रदर्शन किए जाने हैं। उत्तर प्रदेश में यह प्रदर्शन सभी थानों के बाहर होंगे और दूसरे राज्यों में तहसील व सब तहसील और जिला हेडक्वार्टर स्तर पर यह प्रदर्शन किए जाने हैं। गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया है कि यह प्रदर्शन सुबह 11 बजे से लेकर शाम 3 बजे तक यह प्रदर्शन होंगे। क्या है लखीमपुर खीरी मामला लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई घटना के दौरान चार किसानों व एक पत्रकार की मौत हो गई थी। आरोप है कि केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे की गाड़ियों के काफिले ने किसानों को रोंद दिया। जिसमें दिलजीत सिंह, गुरविंदर सिंह, लवप्रीत सिंह, नछतर सिंह और पत्रकार रमन कश्यप की मौत हो गई थी। इसके बाद पंजाब से कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने वहां पहुंचने का प्रयास किया था मगर उन्हें रास्ते में ही रुकना पड़ा था। इसके बाद राहुल गांधी, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ लखीमपुर खीरी पहुंचे थे और वहां पर मृतक किसानों के परिजनों को पचास पचास लाख रुपए देने का एलान किया था। कृषि कानूनों को लेकर 11 माह से चल रहा है संघर्ष कृषि कानूनों को लेकर पिछले 11 माह से पंजाब से शुरू हुआ संघर्ष पूरे देश में चल रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में किसान तीनों कृषि बिलों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और एमएसपी बिल लाने की मांग कर रहे हैं। अब तक इस प्रदर्शन के दौरान 800 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। किसानों का आरोप है कि जो कानून किसानों के पक्षधर बताए जा रहे हैं वह उनके खिलाफ हैं और जब तक यह कानून रद्द नहीं होते तब तक संघर्ष चलता रहेगा।

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