पंजाब में बिजली कटौती के खिलाफ गुस्सा: किसानों ने जाम किया जालंधर-दिल्ली नेशनल हाईवे; PAP चौक पर भी प्रदर्शन, अमृतसर-लुधियाना आवाजाही ठप

जालंधर2 घंटे पहले

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हाइवे पर जाम लगाते किसान।

कोयले की कमी से पंजाब में पैदा हुए बिजली संकट से किसान भड़क उठे हैं। इसके विरोध में भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) जालंधर-दिल्ली नेशनल हाईवे जाम करने पहुंच गई है। पहले यह जाम जालंधर से लुधियाना जाते हुए रास्ते में मैकडोनाल्ड के पास लगाया जाना है। उसके बाद किसान PAP चौक पर भी प्रदर्शन करेंगे। इससे जालंधर से अमृतसर और लुधियाना की तरफ आवाजाही बंद रहेगी। यह जाम कितनी देर तक रहेगा, इसको लेकर किसान नेताओं ने कुछ स्पष्ट नहीं किया है।

उनका कहना है कि जब तक पंजाब सरकार या बड़े अफसर कोई ठोस हल नहीं निकालते, उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। BKU (राजेवाल) के जिला प्रधान मनदीप समरा, मुख्य प्रवक्ता जत्थेदार कश्मीर सिंह जंडियाला और जिला यूथ प्रधान अमरजोत सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार किसानों को पर्याप्त बिजली उपलब्ध नहीं करवा रही है। जिसकी वजह से किसानों को फसल की बिजाई में दिक्कत हो रही है।

हाइवे पर गाड़ियां रोकते किसान।

हाइवे पर गाड़ियां रोकते किसान।

यह रास्ते बंद

किसानों के जाम की वजह से जालंधर से लुधियाना, राजपुरा, अंबाला, पानीपत और दिल्ली जाने का सीधा रास्ता बंद होगा। इसी तरह लुधियाना से सीधे हाईवे के जरिए जालंधर, अमृतसर जाने वालों का रास्ता बंद है। जालंधर से हाईवे के रास्ते चंडीगढ़ से भी लोग आ-जा नहीं सकते। वहीं, PAP चौक के पास प्रदर्शन शुरू होते ही जालंधर से अमृतसर, पठानकोट के रास्ते भी बंद हो जाएंगे।

धान की रोपाई में देरी और वैरायटी ने बढ़ाई चिंता

पावरकॉम अफसरों का कहना है कि कृषि सेक्टर की बिजली की डिमांड में कमी नहीं आई है। कुछ जगहों पर धान की रोपाई में देरी हुई है। वहीं, कुछ जगह धान की वैरायटी ऐसी है कि वहां अभी भी पानी के लिए बिजली की सप्लाई जरूरी है। ऐसे में बिजली संकट को देखते हुए यह समस्या विकराल बन सकती है।

8 घंटे बिजली निर्विघ्न सप्लाई का दावा करती है पंजाब सरकार

किसान नेताओं के मुताबिक, पंजाब सरकार की तरफ से धान और गेहूं की बिजाई और रोपाई के सीजन में निर्विघ्न 8 घंटे की बिजली सप्लाई का वादा किया गया था। इसके बावजूद कभी इतनी बिजली नहीं मिली। अब मौजूदा वक्त में कोयले की कमी की वजह से पंजाब में बिजली संकट पैदा हो गया है। पंजाब के सरकारी और प्राइवेट थर्मल प्लांट मिलकर भी जरूरत की सिर्फ आधी बिजली ही पैदा कर पा रहे हैं। ऐसे में शहरों से लेकर गांवों तक कट लगने शुरू हो गए हैं।

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