देश में बाल विवाह रोकने की कोशिशें घटीं: पंजाब, पश्चिम बंगाल सहित 6 राज्यों में कम उम्र की लड़कियों की शादी का ग्राफ बढ़ा

नई दिल्ली2 घंटे पहले

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चाइल्ड मैरिज की स्थिति पर द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में रिपोर्ट पब्शिल हुई है।

देश में प्रत्येक 5 में से एक लड़की और 6 में एक लड़का शादीशुदा है। भारत में बाल विवाह (Child Marriage) चाइल्ड मैरिज को लेकर द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में पब्लिश रिसर्च रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के सालों में चाइल्ड मैरिज की प्रथा को खत्म करने के लिए जारी प्रयासों में कमी आई है।

पंजाब, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में कम उम्र की लड़कियों की शादी में हुआ इजाफा

रिसर्चर्स ने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की 1993 से लेकर साल 2021 तक की पांच बार के सर्वे का डेटा खंगाला। इसमें पाया कि साल 2016 से लेकर 2021 के बीच कई राज्यों और यूनियन टेरिटरीज में बाल विवाह की प्रथा आम बात रही।

मणिपुर, पंजाब, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल सहित 6 राज्यों में बालिका विवाह (18 से कम की लड़कियों की शादी) की में इजाफा हुआ। वहीं, छत्तीसगढ़, गोवा, मणिपुर और पंजाब सहित आठ राज्यों में बालक बाल विवाह (21 से कम के लड़कों की शादी) का ग्राफ बढ़ा।

इस रिसर्च में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथ-साथ भारत सरकार से जुड़े लोग शामिल रहे। उनका कहना है कि भारत में चाइल्ड मैरिज में राष्ट्रीय स्तर पर गिरावट आई है।

1993 में गर्ल चाइल्ड मैरिज का 49% था, जो 2021 में 22% रह गया है। वहीं, बॉयज चाइल्ड मैरिज साल 2006 में 7% से घटकर साल 2021 में 2% पर आ गई है।

मगर, साल 2016 से 2021 के बीच चाइल्ड मैरिज रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास काफी कम हो गए हैं। 2006 से लेकर 2016 के दौरान चाइल्ड मैरिज में सबसे ज्यादा कमी दर्ज की गई थी।

UNISEF ने माना- बाल विवाह मानवाधिकारों का उल्लंघन

वहीं, UNISEF चाइल्ड मैरिज को लेकर मानवाधिकारों का उल्लंघन (Violation of human rights) मानता है। UNICEF का मानना है कि चाइल्ड मैरिज होना लड़कियों और लड़कों के विकास से समझौता करना है।

द यूनाइटेड नेशंस के मुताबिक चाइल्ड मैरिज लैंगिक असमानता (Gender Ineqauality) का परिणाम होता है। इससे कारण लड़कियां प्रभावित होती हैं।

इसलिए बाल विवाह को समाप्त करना संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 5 (Sustainable Development Goal) को पाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जाता है।

जो 2030 तक ”लैंगिक समानता और सभी महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाना” हासिल करने के लिए है।

SDG का 5.3 टारगेट ऐस कुप्रथाओं जैसे चाइल्ड मैरिज, जबरन विवाह और फीमेल जेनेटल मल्टिलेशन को खत्म करना है।

UN का कहना- दुनिया भर में 5 में से एक महिला की हुई चाइल्ड मैरिज

UN के अनुसार, साल 2022 में दुनिया भर में पांच में से एक युवा महिला (19 प्रतिशत) की शादी बचपन में हो गई थी, जबकि विश्व स्तर पर चाइल्ड मैरिज की प्रथा में कमी आई है।

UN का कहना है कि Covid-19 पैनडेमिक के असर के चलते चाइल्ड मैरिज की बढ़ती प्रोग्रेस खतरे में है। पैनडेमिक की शुरुआत के एक दशक के दौरान एक करोड़ लड़कियां चाइल्ड मैरिज का शिकार हो सकती हैं।

शोध में शामिल की गईं 1 करोड़ 34 लाख महिलाएं और 14 लाख पुरुष

रिसर्चर्स ने यह शोध 20 से 24 साल के महिला-पुरुषों पर किया, जिनकी शादी 18 साल की उम्र से पहले हुई थी। भारत में कानूनन 21 साल से कम उम्र लड़कों की शादी होने को चाइल्ड मैरिज माना जाता है। इस रिसर्च में 1 करोड़ 34 लाख अधिक फीमेल और 14 लाख से ज्यादा मेल को शामिल किया गया।

कई देशों ने चाइल्ड मैरिज रोकने के लिए बनाए एक्ट

रिचर्स के दौरान पाया गया कि कई देशों ने चाइल्ड मैरिज को दूर करने के लिए एक्ट बनाया गया। भारत में चाइल्ड मैरिज रोकने के लिए साल 2006 में चाइल्ड मैरिज एक्ट पास किया गया था। इस एक्ट में तय किया गया था कि शादी के लिए लड़का 21 और लड़की 18 साल की होनी चाहिए।

यूपी सरकार ने बाल विवाह रोकने लिए किया अच्छा काम, पश्चिम बंगाल में आई परेशानी

रिसर्चर्स ने अपनी रिपोर्ट में राज्यों का भी जिक्र किया है। इसमें बताया है कि चाइल्ड मैरिज की प्रथा को खत्म करने में उत्तर प्रदेश सरकार का ने अच्छा काम किया है। वहीं, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों को चाइल्ड मैरिज रोकने की दिशा में काफी परेशानी उठानी पड़ी है।

चाइल्ड मैरिज रोकने में पैसों का चलन है बड़ी अड़चन

शोधकर्ताओं ने कहा कि ग्लोबली चाइल्ड मैरिज खत्म करने के लिए किए गए प्रयास कारगर साबित नहीं हुए हैं। भारत में पैसों का लेन-देन बड़ी वजह है। रिसर्चर्स ने कहा कि SDG 5.3 टारगेट हासिल करने के लिए राज्य सरकारों और यूनियन टेरिटरी की सेंट्रल गर्वनमेंट को साथ मिलकर इसके लिए दोबारा प्रयास करना होगा।