दिवाली स्पेशल- खतरों की खिलाड़ी: सरकार के पास आग से हादसों और मौत का डेटा, पर जान बचाने वालीं महिला फायर फाइटर्स का आंकड़ा नहीं

  • हिंदी समाचार
  • महिला
  • सरकार के पास भी नहीं महिला दमकलकर्मियों का डाटा, देश में पर्याप्त संसाधनों के अभाव में आग के आगे झुकी ब्रिगेड

नई दिल्ली7 मिनट पहलेलेखक: पारुल रांझा

  • कॉपी लिंक

दीयों की रोशनी से जगमगाते घर और गलियों के दिलकश नजारे… हर साल दिवाली पर देशभर में रोशनी के रंग नजर आते हैं। वैसे तो कई राज्यों में पटाखों पर बैन लग चुका है, लेकिन तब भी लोग आतिशबाजी से बाज नहीं आते। ऐसे में रोशनी के इस त्योहार पर आग लगने के कारण होने वाले हादसे भी बढ़ जाते हैं। इसे रोकने के लिए फायर-फाइटर्स हरदम मुस्तैद रहते हैं। आग से लड़ने वाले जांबाजों की इस टोली में सिर्फ पुरुष नहीं, बल्कि महिलाएं भी शामिल हैं। हालांकि जान की बाजी लगाने वाली इन महिलाओं का पक्का डेटा किसी के पास मौजूद ही नहीं है।

सरकारी आंकड़ों से गायब महिला फायर फाइटर

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, 2020 में देश में घरों में होने वाली दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों में से करीब 60 फीसदी लोगों की मौत आग लगने के कारण हुई। इन हादसों से निपटने के लिए देश में करीब 57 हजार सरकारी फायर फाइटर्स हैं। लेकिन इनमें कुल कितनी फीमेल फायर फाइटर्स हैं, इसका कोई सरकारी आंकड़ा ही मौजूद नहीं है। शायद इसकी एक वजह ये भी है कि फायर फाइटर्स की बात आते ही लाल रंग की फायर ब्रिगेड की गाड़ी और पुरुषों की टीम याद आती है। इसलिए कहीं न कहीं अधिकारी भी महिलाओं को गिनना भूल गए।

मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स में फायर एडवाइजर देवेंद्र कुमार शमी बताते हैं कि सरकारी उपक्रम और निजी कंपनियों को मिलाकर देश में फायर फाइटर्स की संख्या सवा लाख के करीब है। इनमें महिलाओं की मौजूदगी का सटीक आंकड़ा कहीं नहीं है। हालांकि तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गोवा और राजस्थान सहित कुछ गिने-चुने राज्यों में अब महिला फाइटर्स की भर्ती शुरू हुई है। बाकी राज्यों में फिलहाल महिला फायर फाइटर्स या तो हैं नहीं, या फिर गिनी-चुनी ही हैं। हालांकि अधिकारी ये भी मानते हैं कि महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा है और वे इस जोखिम भरे पेशे को भी अपना रही हैं।

देश की राजधानी में नहीं, एक भी फीमेल फायर फाइटर

दिल्ली फायर सर्विस के डायरेक्टर अतुल गर्ग बताते हैं कि वर्तमान में देश की राजधानी में एक भी फीमेल फायर फाइटर नहीं हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि इस प्रोफेशन को काफी जोखिम भरा माना जाता है। खुद को कमजोर समझने वाली मानसिकता के चलते महिलाएं पीछे हट जाती हैं। लेकिन अब धीरे-धीरे समय और सोच बदल रही है। साल 2017 में मुंबई में करीब 100 फायर फाइटर्स को शामिल किया गया था। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भी कोलकाता में वुमन फायर फाइटर्स को शामिल किया था।

19 साल में नहीं बदली सूरत, 13 महिलाएं ही ले रही ट्रेनिंग

नागपुर नेशनल फायर सर्विस कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गौतम कुमार ने बताया कि साल 2002 में जब महिला फायर फाइटर हर्षिनी कान्हेकर ने इस कॉलेज में दाखिला लिया था, तब वो अकेली महिला थीं। यह पूरे साउथ ईस्ट एशिया का अकेला फायर इंजीनियरिंग कॉलेज था। दिल्ली और कोलकाता में ट्रेनिंग के दौरान हर्षिनी ने कई लोगों की जान बचाई। वो भी दिवाली का ही मौका था। आजादी के बाद फायर डिपार्टमेंट में पहली बार एक महिला इंजीनियर की भर्ती हुई। अब 19 साल बाद कॉलेज के वर्तमान बैच में कुल 13 महिला इंजीनियर हैं।

नागपुर नेशनल फायर सर्विस कॉलेज देश का इकलौता फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग ट्रेनिंग सेंटर है

नागपुर नेशनल फायर सर्विस कॉलेज देश का इकलौता फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग ट्रेनिंग सेंटर है

कर्मचारियों और संसाधनों के बिना कैसे काबू हो आग

भारत में केवल 3,700 फायर स्टेशन हैं, जबकि तय मानक के लिहाज से 8,500 फायर स्टेशन की जरूरत है। इन फायर स्टेशन पर न तो पर्याप्त कर्मचारी हैं और न ही उपकरण। विभागीय अफसर सालाना मांग पत्र भेज रहे हैं, लेकिन सुविधाएं अब तक नहीं मिली हैं। इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है। देश में अलग-अलग राज्यों के फायर सर्विस विभाग करीब 87% कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं।

स्ट्रेस भरी लाइफ से कैंसर का खतरा झेल रहीं फीमेल फायर फाइटर

जयपुर के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. दिवेश गोयल बताते हैं कि धुएं के कारण फायर ब्रिगेड की नौकरी में महिलाओं को कैंसर का ज्यादा खतरा बना रहता है। इस जॉब में महिलाएं 24 घंटे लोगों की सेवा में मौजूद रहती हैं। ऐसे में कई बार स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है, जो कई बीमारियों का शिकार बना देता है। बार-बार सिर दर्द, गुस्सा आना या फिर ठीक से नींद न आने का सीधा ताल्लुक भी स्ट्रेस से हो सकता है। जब स्ट्रेस लेवल लिमिट पार कर जाए, तो इससे रोजमर्रा के काम पर असर पड़ सकता है। इसलिए इस प्रोफेशन से जुड़ी महिलाओं को मानसिक और शारीरिक सेहत बेहतर बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज की आदत डालनी चाहिए। बेड कंफर्टेबल होना चाहिए, ताकि जितनी भी देर सोएं, सुकून की नींद आए।

आग लग जाए, तो 112 और 101 नंबर पर करें फोन

यूपी के जिला गौतमबुद्धनगर के चीफ फायर ऑफिसर (सीएफओ) अरुण कुमार सिंह ने बताया कि विभाग दिवाली पर आग से जुड़ी इमरजेंसी से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। जहां भी फायर ब्रिगेड की जरूरत पड़ेगी, हम मदद करेंगे। आग लगने पर फौरन दमकल रवाना हो जाएगा। अग्निशमन विभाग की ओर से जारी मोबाइल नंबर पर लोग सूचना दे सकते हैं। अपने शहर में आप 112 और 101 नंबर पर फोन कर सकते हैं।

आग लग जाए तो क्या बरतें सावधानियां?

  • घर में आग आमतौर पर शॉर्ट सर्किट, गैस लीकेज, पूजा घर में जलते दिए या अगरबत्ती से लगती है
  • घर में खाना बनाते वक्त और इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेज का इस्तेमाल करते वक्त खास सावधानी बरतें
  • आग लगने जैसा हादसा होने पर सबसे पहले प्रभावित जगह से बाहर खुले में निकलने की कोशिश करें
  • पैनिक क्रिएट करने और इधर-उधर दौड़ने की बजाए शांत रहकर स्थिति से निपटने की कोशिश करें
  • अगर घर से बाहर न निकल पा रहे हों तो अपने कमरे के सारे खिड़की-दरवाजे बंद कर दें
  • गीले तौलिए या चादर से दरवाजे के नीचे की खाली जगह को बंद कर दें, ताकि कमरे में धुआं न भरे
  • इसके बाद सबसे पहले फायर डिपार्टमेंट को सूचना दें और कमरे के अंदर के हिस्से को पानी से भिगोएं

खबरें और भी हैं…

.