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- हिमाचल में बढ़ रहे हैं तेंदुए के हमले के मामले, रेडियो कॉलर लगाकर मनुष्यों पर हमले की प्रकृति का अध्ययन करेगा वन विभाग
शिमला2 घंटे पहले
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हिमाचल प्रदेश वन विभाग का वन्य प्राणी विंग तेंदुओं पर स्टडी करने जा रहा है। यह स्टडी एक साल तक चलेगी और तेंदुओं के गले में रेडियो कॉलर लगाकर की जाएगी। इसके लिए प्लान तैयार कर लिया गया है और मंजूरी मिलते ही अध्ययन शुरू कर दिया जाएगा।
वन विभाग तेंदुओं का स्वभाव, उनकी गतिविधियां, जंगल में विचरण करने के तरीके, जंगल के वातावरण से जुड़ाव, इंसानी बस्ती में प्रवृत्ति और आदमखोर प्रवृत्ति के विकसित होने वाले कारणों को जानना चाहता है। सबसे अहम बात यह देखी जाएगी कि तेंदुए जानवरों का शिकार बनाने की बजाए इंसानों पर हमला क्यों कर रहे हैं। हमले का पैटर्न क्या है, दिन के समय अधिक हमले होते हैं या रात के समय।
वन विभाग की मुखिया डॉक्टर सविता का कहना है कि वन्य प्राणी विंग हिम तेंदुओं के स्वभाव का भी अध्ययन करेगा। यह एक महत्वपूर्ण अध्ययन साबित होगा, जो आने वाले समय में इंसानों और तेंदुओं के बीच प्रतिस्पर्धा को खत्म करने में काफी लाभदायक होगा। अध्ययन के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। इसे मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा और मंजूरी मिलते ही स्टडी शुरू हो जाएगी।
रेडियो कॉलर के जरिए जानी जाएगी हर एक गतिविधि।
सीसीटीवी में कैद हुई तेंदुओं की गतिविधियां
गौरतलब है कि शिमला में तेंदुए की चहलकदमी एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी। करसोग में भी कुछ दिन पहले एक तेंदुआ घर के आंगन में आ गया था, जो सीसीटीवी में कैद हुआ। एक तेंदुए को घर के कमरे में बंद किया गया था, जिसे वन विभाग की टीम पकड़कर ले गई। रेडियो कॉलर लगाने के बाद सीसीटीवी में कैद हुई गतिविधियों से मिलान करके तेंदुओं का अध्ययन किया जाएगा।
दधोल में तेंदुए को मारने में लगे थे 27 दिन
बिलासपुर के दधोल क्षेत्र के पट्टा गांव में आदमखोर तेंदुए ने 5 साल पहले एक रसोइए को अपना शिकार बनाया था। तेंदुआ रात के समय रसोइए पर झपटा और उसने उसे आधा खा कर जंगल में छोड़ दिया था। इसके बाद वन विभाग की ओर से इस तेंदुए को आदमखोर घोषित कर दिया गया। 27 दिन तक 15 शार्प शूटर इस तेंदुए को मारने के लिए घूमते रहे।
पिंजरे भी लगाए गए लेकिन तेंदुआ किसी की पकड़ में नहीं आया। आखिरकार 27 दिन बाद शार्प शूटर ने तेंदुए को उसी जगह पर मार गिराया है, जहां पर उसने रसोइए पर हमला किया था। यह आदमखोर तेंदुआ 7 साल का था और इसका वजन 70 किलो था। वन विभाग की मानें तो यह अब तक का सबसे भारी भरकम तेंदुआ था, जो मारा गया।
पिछले डेढ़ दशक में 42 लोगों की जान ली
तेंदुओं के इंसानों पर हमलों की बात करें तो पिछले डेढ़ दशक में हिमाचल में तेंदुए 42 लोगों की जान ले चुके हैं। जबकि 400 से ज्यादा लोग घायल भी हुए हैं। ऐसे में यही देखना है कि आखिर तेंदुए लोगों पर हमला क्यों कर रहे हैं? क्या उनकी इस प्रवृत्ति को बदला जा सकता है?
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