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- कमजोर समझकर बास्केटबॉल से निकाले गए यूपी के पैरा हाईजम्पर वरुण भाटी टोक्यो में बढ़ाएंगे देश का मान
मेरठ2 घंटे पहले
उत्तर प्रदेश में नोएडा के रहने वाले पैरा एथलीट वरुण सिंह भाटी 24 अगस्त से टोक्यो पैरालिंपिक में हाई जंप प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेंगे। महज 6 महीने की उम्र में पोलियो के कारण वरुण का एक पैर खराब हो गया था। वरुण ने छठी क्लास में तय कर लिया था कि वे अपना भविष्य स्पोर्ट्स में बनाएंगे। उन्होंने बास्केटबॉल खेलना शुरू किया। स्टेट लेवल खेल में कई मेडल जीते। लेकिन बास्केटबॉल से इसलिए बाहर कर दिया गया कि वे बड़े खिलाड़ियों को बीट नहीं कर पाएंगे। यह वरुण के लिए कठिन समय था।
इसके बाद वरुण ने हाई जंप के लिए अपना पसीना बहाना शुरू किया। उन्होंने ताउम्र जमाने का अहसानमंद रहने के बजाय हाई जंप को अपनी ताकत बनाया। रियो पैरालिंपिक 2016 के कांस्य पदक विजेता वरुण अब टोक्यो पैरालिंपिक में भारत को हाईजंप में सोना दिलाने के प्रबल दावेदार हैं।
महज 6 माह में पोलिया से पैर को लकवा मार गया।- फाइल
स्कूल कोच ने दोबारा खेलने के लिए प्रेरित किया
वरुण कहते हैं कि बचपन में पोलियो ने मेरा एक पैर खराब कर दिया। अच्छे से चल भी नहीं सकता था और भगवान ने खेलों को मेरी हॉबी बना दी। सेंट जोसेफ स्कूल में पढ़ने के दौरान बास्केटबॉल खेलने लगा। इसी शौक ने मुझे खेलों से जोड़ा। एक पैर खराब होने के कारण मुझे दूसरे खिलाड़ियों से दोगुनी मेहनत करना पड़ती। ज्यादा फोकस रहना पड़ता। लंबे खिलाड़ियों के बीच फंसकर अक्सर गिर जाता, जल्दी गोल नहीं कर पाता, लेकिन जो गोल करता सटीक होता।
वरुण ने भास्कर को बताया कि स्टेट लेवल तक बास्केटबॉल खेला, कई पदक जीते। बाद में मुझे पोलियोग्रस्त बताकर टीम से निकाल दिया गया। हमारे सीनियर्स ने कहा पैर खराब होने के कारण मैं बड़े खिलाड़ियों को बीट नहीं कर पाऊंगा। उस दिन मुझे पहली बार अपनी शारीरिक कमी महसूस हुई। खुद पर तरस आया कि मैं कुछ नहीं कर सकता। डिप्रेशन में रहा। तब स्कूल कोच मनीष सर ने मुझे दोबारा खेलने के लिए प्रेरित किया। सर मेरा गेम जानते थे उन्होंने देखा कि बास्केट में बॉल डालते वक्त मेरा जंप बहुत अच्छा है। वहीं से मैं हाई जंप से जुड़ गया।
वरुण को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।- फाइल
आधे फीट के टारगेट से कूदना सीखा
वरुण कहते हैं बास्केटबॉल मेरा पसंदीदा गेम था, उससे निकलने के बाद हाई जंप से जुड़ना बहुत कठिन था। दोनों खेलों की तकनीक, तैयारी अलग है। बास्केटबॉल जहां गेंद डालने के लिए कूदना है, मगर हाई जंप जहां टारगेट के ऊपर से कूदना है। बहुत कठिन था। शुरुआत में आधे फीट ऊंचे टारगेट कूदता था। घंटों टारगेट के बीच दोनों पैर फंसाकर आगे-पीछे होता। घर पर ईंटों या किसी सामान के ऊपर से कूदने की कोशिश करता रहा। बस यही मेहनत मुझे आगे बढ़ाती रही और रियो तक पहुंच गया। इस बीच अपने ही रिकॉर्ड ब्रेक किए, मेडल भी जीते।
वरुण भाटी का स्पोर्ट्स सफर
- 2012 में लंदन पैरालिंपिक में A ग्रेड के साथ क्वालिफाई किया
- चीन ओपन गेम्स-2013 में 1.72 मीटर जंप में स्वर्ण
- श्रीलंका आर्मी गेम्स-2013 में 1.72 मीटर में स्वर्ण
- कोरिया एशियन पैरा गेम्स-2014 में चौथा स्थान
- चाइना में ‘ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप’ में स्वर्ण पदक
- वर्ल्ड पैरा चैंपियनशिप दोहा-2015 में 5वां स्थान
- दुबई में आइपीसी गेम्स-2016 में स्वर्ण पदक
- जेपीसी चैंपियनशिप-2016 जर्मनी में रजत पदक
- रियो 2016 में ग्रीष्मकालीन पैरालिम्पिक में कांस्य पदक
- अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित
- यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दिया सम्मान
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