जगजीत की बरसी पर उनकी पत्नी चित्रा सिंह का पत्र: जिंदगी की धूप में घने साए से जगजीत सिंह… जो अगर संगीत के ‘पंडित’ कहे गए तो उतने ही बड़े ‘उस्ताद’ भी

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6 मिनट पहले

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साल 2021-22 जगजीत का 81वां जयंती वर्ष है।

आज ही के दिन 10 साल पहले जगजीत सिंह हम सबसे दूर चले गए थे। दुनिया ने एक आला दर्जे का संगीतकार और उतना ही अद्भुत इंसान खो दिया था। दुनिया भले उन्हें गायक, संगीतकार के रूप में जानती हो, लेकिन उनकी हदें बस इतनी नहीं थी। दयालुता, ईमानदारी, समर्पण, आध्यात्मिक चेतना, बुद्धिमत्ता, बिना शर्त प्रेम। ऐसे कौन से गुण उनमें नहीं थे।

दुनियाभर के लोग अगर आज भी दिल की गहराई से उन्हें याद किया करते हैं, तो उसकी यही तो तमाम वजहें हैं। उनकी आवाज सुनने वालों के कानों में अगर शहद की तरह उतरी तो उसके पीछे भी यही वजहें थीं। और उनके संगीत ने अगर लोगों के दिलों की गहराई में पैठ पाया तो उसमें भी। उन्होंने अपने संगीत को लोगों तक पहुंचाने का जरिया ‘गजल’ को बनाया।

तब जबकि लोक संगीत के अलावा फिल्म और शास्त्रीय संगीत ही आम लोगों के बीच लोकप्रिय होता था। उर्दू शेरो-शायरी के लिए प्यार, शास्त्रीय संगीत की प्रशिक्षा, संगीत की अपनी समझ और ऑर्केस्ट्रा संयोजन, ध्वनि नियंत्रण, मिश्रण, संपादन जैसी तमाम तकनीकी दक्षताओं के साथ वे लोगों के सामने आए तो लाजवाब आए। गजल, भक्ति संगीत, फिल्म संगीत, ठुमरी, दादरा और शास्त्रीय भी।

संगीत की ऐसी कोई शैली नहीं बची, जो उन्होंने छुई नहीं। और जिसने उनके छुए जाते ही लोगों के दिलों को छुआ नहीं। इसीलिए वे अगर संगीत के ‘पंडित’ कहे गए तो उतने ही बड़े ‘उस्ताद’ भी कहे जाते थे। मेरे वे गुरु थे। हमसफर और दोस्त भी। इससे भी ऊपर मेरे संरक्षक। उन्होंने मेरे पूरे परिवार को अपना सुरक्षा कवच दे रखा था। मेरे माता-पिता के लिए भी वे बेटे की तरह थे। हम सबका और हमारा ही क्या हर किसी का दुख-दर्द जैसे उनकी नजदीकी भर से दूर हो जाता था। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता।

जगजीत जैसी प्रतिभा की खोज के लिए सालभर चलेगी शृंखला

जगजीत सिंह के जाने के बाद गजल ही नहीं पूरी संगीत की दुनिया में एक खालीपन सा है। यह तब तक नहीं भर सकता, जब तक जगजीत जैसा कोई कलाकार सामने नहीं आता। यह थोड़ी दूर की बात है। फिर भी हमने ‘जगजीत सिंह फाउंडेशन’ बनाकर कोशिशें शुरू की हैं। साल 2021-22 जगजीत का 81वां जयंती वर्ष भी है। इस मौके पर फाउंडेशन दुनियाभर से संगीत-प्रतिभाओं की खोज के लिए शृंखला चलाएगाा। अंत में चुनी गई प्रतिभाओं को ऑनलाइन संगीत समारोह में जगजीत की 80 गजलें गाने का मौका मिलेगा।

पद्म भूषण (2003) जगजीत को भारत रत्न मिले, ऐसी दुनियाभर के उनके प्रशंसकों की इच्छा है।

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