चीन से ऐसे निपटेगा QUAD: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को रोकना चाहेगा भारत; अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान भी यही चाहते हैं, आज अहम बैठक

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नई दिल्ली11 मिनट पहले

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अमेरिका में आज क्वॉड (QUAD) देशों भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्षों की पहली इन-पर्सन मीटिंग होनी है। माना जा रहा है कि इस मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन से जुड़ी चिंताओं को ध्यान में रखेंगे। भारत की ये चिंता इसलिए लाजिमी है, क्योंकि QUAD में शामिल देशों में भारत ही है जिसकी सीमा चीन से लगती है और दोनों देशों के बीच सीमा विवाद भी है।

BBC की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व डिप्लोमेट जितेंद्र नाथ मिश्रा कहते हैं कि QUAD में भारत को अपने समुद्रीय हितों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। मिश्रा के मुताबिक भारत को कुछ कड़े सवाल उठाने की जरूरत है कि QUAD समुद्र से जुड़े उसके हितों को कैसे सुरक्षा दे सकता है, क्योंकि हिंद महासागर में चीन कई सालों से चुनौती बना हुआ है।

भारत ही नहीं बल्कि QUAD के बाकी तीनों देश भी चीन की नीतियों को लेकर चिंतित हैं। यही वजह है कि हिंद-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) क्षेत्र में चीन को कंट्रोल करने के लिए अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने पिछले हफ्ते सुरक्षा समझौता (AUKUS) किया है। हालांकि, इसमें भारत और जापान शामिल नहीं हैं, बल्कि अमेरिका के साथ ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने यह पार्टनरशिप की है। फिर भी यह भारत और जापान के लिहाज से भी काफी अहम है, क्योंकि ये सभी देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल पर लगाम लगाना चाहते हैं।

विश्लेषकों का ये भी कहना है कि QUAD के फ्रेमवर्क में भारत के कुछ अहम मुद्दों का अब तक समाधान नहीं हो पाया है। इनमें से एक प्रमुख मुद्दा चीन के साथ सीमा विवाद से जुड़ा है। इसके अलावा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीन के निवेश को लेकर भी लंबे समय से भारत की चिंताएं बरकरार हैं। चीन अब अफगानिस्तान में अपना दखल बढ़ा रहा है, भारत के लिए ये भी एक मुद्दा है।

ट्रैक्टर देशों को चीन से क्या दिक्कत है?
भारत के लिए चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक ताकत स्ट्रैटजिक चुनौती है। चीन ने दक्षिण चीन सागर में द्वीपों पर कब्जा कर लिया है और वहां मिलिट्री असेट्स डेवलप किए हैं। चीन हिंद महासागर में ट्रेड रूट्स पर अपना असर बढ़ाने की कोशिश भी कर रहा है, जो भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाला है।

अमेरिका की पॉलिसी पूर्वी एशिया में चीन को काबू करने की है। इसी वजह से वह QUAD को इंडो-पैसिफिक रीजन में फिर से दबदबा हासिल करने के अवसर के तौर पर देखता है। अमेरिका ने तो अपनी नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटजी में रूस के साथ-साथ चीन को भी स्ट्रैटजिक राइवल कहा है।

ऑस्ट्रेलिया को अपनी जमीन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, पॉलिटिक्स में चीन की बढ़ती रुचि और यूनिवर्सिटीज में उसके बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता है। चीन पर निर्भरता इतनी ज्यादा है कि उसने चीन के साथ कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप जारी रखी है।

जापान पिछले एक दशक में चीन से सबसे ज्यादा परेशान रहा है, जो अपना अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के लिए सेना का इस्तेमाल करने से भी नहीं झिझक रहा। अहम ये है कि जापान की इकोनॉमी एक तरह से चीन के साथ होने वाले ट्रेड वॉल्यूम पर निर्भर है। इस वजह से जापान चीन के साथ अपनी आर्थिक जरूरतों और क्षेत्रीय चिंताओं में संतुलन साध रहा है।

ट्रैक्टर क्या है?
QUAD यानी क्वॉड्रिलैटरल सिक्योरिटी डॉयलॉग चार देशों का समूह है। इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान शामिल हैं। इन चारों देशों के बीच समुद्री सहयोग 2004 में आई सुनामी के बाद शुरू हुआ था। QUAD​​​​​​​ का आइडिया 2007 में जापान के उस वक्त के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने दिया था। हालांकि, चीन के दबाव में ऑस्ट्रेलिया पहले ग्रुप से बाहर रहा। दिसंबर 2012 में शिंजो आबे ने फिर से एशिया के डेमोक्रेटिक सिक्योरिटी डायमंड का कॉन्सेप्ट रखा, जिसमें चारों देशों को शामिल कर हिंद महासागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर के देशों से लगे समुद्र में फ्री ट्रेड को बढ़ावा देना था। आखिरकार नवंबर 2017 में चारों देशों का QUAD ग्रुप बना। इसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक के समुद्री रास्तों पर किसी भी देश, खासकर चीन, के दबदबे को खत्म करना है।

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