राष्ट्रपति अल्फा कोंडे
– फोटो : twitter
ख़बर सुनें
विस्तार
गिनी की राजधानी कोनाक्री में राष्ट्रपति भवन के पास सैनिकों द्वारा भारी गोलीबारी की खबर सामने आई है। यहां सेना के विद्रोही गुट ने सरकार को हटाकर तख्तापलट की साजिश की है यहां की सरकार भंग कर दी गई है। साथ ही देश की सीमाओं को भी सील कर दिया गया है।
गिनी पुट्सिस्ट्स का कहना है कि राष्ट्रपति ने ‘लिया’ और सरकार भंग कर दी। शहर में एक पश्चिमी राजनयिक ने इस घटना को तख्तापलट का प्रयास बताया। रविवार की सुबह गिनी की राजधानी कोनाक्री के केंद्र में गोलियों की आवाज सुनी गई और सैनिकों को सड़कों पर देखा गया: एएफपी समाचार एजेंसी
– एएनआई (@ANI) 5 सितंबर, 2021
कोनाक्री शहर में एक पश्चिमी राजनयिक ने इस घटना को तख्तापलट का प्रयास बताया। रविवार सुबह गिनी की राजधानी कोनाक्री में गोलियों की आवाज सुनी गई और सैनिकों को सड़कों पर देखा गया।
गिनी में चल रहे हालिया हालातों पर एक सीनियर पत्रकार जॉयस करम ने अपने ट्वीट कर कहा कि कथित तौर पर गिनी में सैन्य तख्तापलट चल रहा है। राष्ट्रपति अल्फा कोंडे को कथित तौर पर गिरफ्तार किया गया, संविधान को रोका गया, राज्य संस्थानों को भंग किया गया, सार्वजनिक प्रसारण को रोक दिया गया है। साथ ही ट्विटर पर उन्होंने एक वीडियो भी शेयर किया है।
बस में: सैन्य तख्तापलट कथित तौर पर चल रहा है #गिनी. राष्ट्रपति अल्फा कोंडे कथित तौर पर गिरफ्तार, संविधान रोक दिया गया, राज्य संस्थानों को भंग कर दिया गया, सार्वजनिक प्रसारण रोक दिया गया pic.twitter.com/AUv021SZ6n
– जॉयस करम (@Joyce_Karam) 5 सितंबर, 2021
विद्रोही सैनिकों ने अपने कब्जे की घोषणा के बाद देश में लोकतंत्र बहाली का संकल्प व्यक्त किया और खुद को ‘द नेशनल कमेटी ऑफ गैदरिंग एंड डवेलपमेंट’ नाम दिया। रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि हमले को विफल कर दिया गया है, लेकिन जब सरकारी टेलीविजन या रेडियो पर कोंडे की तरफ से कोई संदेश नहीं आया तो अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो गई। बाद में बताया गया कि कोंडे को हिरासत में ले लिया गया है।
कोंडे के तीसरे कार्यकाल को लेकर पिछले कुछ समय से आलोचना हो रही थी। वहीं, कोंडे का कहना था कि उनके मामले में संवैधानिक अवधि की सीमाएं लागू नहीं होतीं। अंततः उन्हें फिर से चुन लिया गया, लेकिन इस कदम ने सड़क पर हिंसक प्रदर्शन भड़का दिए थे।
कोंडे वर्ष 2010 में सबसे पहले राष्ट्रपति चुने गए थे जो 1958 में फ्रांस से आजादी मिलने के बाद देश में पहला लोकतांत्रिक चुनाव था। कई लोगों ने उनके राष्ट्रपति बनने को देश के लिए एक नयी शुरुआत के तौर पर देखा था लेकिन उनके शासन पर भ्रष्टाचार, निरंकुशता के आरोप लगे।
.