गांव खीवा दियालपुरा से ग्राउंड रिपोर्ट: पोत्री की शादी के सपने साथ ले गईं अमरजीत कौर, परिवार पर कर्ज का बोझ, लाखों के कर्ज समक्ष पांच लाख की सहायता नाकाफी

मानसा13 मिनट पहलेलेखक: दिलबाग दानिश

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गांव खीवा दियालूवाला की गलियों में सोग की लहर है, दीपावली से सप्ताह पहले यहां पर गमी का माहौल और मातम पसरा हुआ है। गांव के लोगों ने इस बार दीपावली नहीं मनाने का मन बनाया है। गांव के बीचो बीच टिक्करी बार्डर पर सड़क हादसे में मारी गईं 65 वर्षीय अमरजीत कौर का घर है। जो आधा कच्चा और पक्का बना हुआ है। अभी शव नहीं आया है और गांव के लोगों का यहां जमावड़ा है। लोग 28 वर्षीय लखविंदर कौर को संतावना दे रहे हैं, जिसकी 23 जनवरी को शादी होनी है। वह रोते हुए दादी को याद करते कहती हैं कि मेरी शादी तक तो रुक जाती। ऐसे जाना था तो दिल्ली ही क्यों गई, पता होता तो रोक लेती। अमरजीत के पति हरजीत सिंह की 18 साल पहले खेत में ही काम करते हुए सांप के डसने से मौत हो गई। एकलौता बेटा फौज में और इसी दौरान उसका एक्सीडेंट हो गया और अब वह फौज में ही कलेरीकल जॉब करते हैं। परिवार के पास पांच एकड़ जमीन है और सिर पर प्राईवेट और सरकारी 30 लाख रुपए का कर्ज है। इस लाख रुपए बैंक और 20 लाख रुपए प्राईवेट देनदारी है।

गांव खीवा दियालुवाला में किसान परिवारों के साथ दुख सांझा करते गांव के लोग

गांव खीवा दियालुवाला में किसान परिवारों के साथ दुख सांझा करते गांव के लोग

दूसरी बजुर्ग माता के घर के हालात भी इसी तरह के हैं,57 वर्षीय सुखविंदर कौर के पति भी 2016 में अधरंग से जान गंवा चुके हैं। परिवार के पास मात्र 2 एकड़ जमीन है और सिर पर 15 लाख का कर्ज है। इसी तरह गुरमेल कौर के परिवार के पास मात्र पांच एकड़ जमीन है और सिर पर पच्चीस लाख का कर्ज है। घायल हुई हरमीत कौर के पास आठ एकड़ जमीन और 16 लाख रुपए का कर्ज है, गुरमेल कौर के परिवार के पास चार एकड़ जमीन है और 28 लाख रुपए का कर्ज है।

गांव खीवा दियालूवाला में सोग जाहिर करते हुए परिवार के सदस्य।

गांव खीवा दियालूवाला में सोग जाहिर करते हुए परिवार के सदस्य।

हर दस दिन बाद जाता है न्या ग्रुप
गांव की आबादी 1500 है और यहां पर वोट 1200 के करीब है। गांव के लोग पिछले 11 माह से ही किसानी संघर्ष के साथ जुड़े हुए हैं। संघर्ष लंबा चलने के कारण की गांव के लोगों ने फैसला लिया था कि हर दस माह बाद यहां से एक ग्रुप बार्डर पर जाएगा और पहले गए लोग वापिस आए जाएंगे। इन महिलाओं का ग्रुप दस दिन पहले ही बार्डर पर संघर्ष में शामिल होने गया था और आज वापिस आ रहा था। इसी दौरान हादसा हो गया है। गांव के लोग कहते हैं कि उक्त महिलाएं बेहद दिलचसपी के साथ संघर्ष में हिस्सा लेती थीं और कई बार संघर्ष में शामिल होने के लिए यहां से गई थीं।
मुख्यमंत्री के पांच लाख को पंचायत और संगठनों ने नाकारा
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की तरफ से हादसे में मारी गई महिलाओं के परिवार के लिए पांच लाख रुपए मुआवजे का एलान किया है। किसान परिवारों और संविधान मंच के नेता एडवोकेट गुरलाभ सिंह माहल, पंजाब किसान यूनियन सिचव बलकरन सिंह बल्ली और डा धन्ना मल गोयल का कहना है कि यह मुआवजा बेहद कम है। परिवारों के सिर चढ़े हुए कर्ज के सामने यह मुआवजा तो कुछ भी नहीं है। जब लखीमपुर खीरी में शहीद हुए किसानों को सरकार पचास पचास लाख रुपए का मुआवजा दे सकती है तो पंजाब के मारे गए किसानों के परिजनों के लिए तंगदिली क्यों दिखाई जा रही है।
सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ही नेता जता रहे संतावना
कांग्रेस के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, कैबिनेट मंत्री विजय इंद्र सिंगला समेत कई नेताओं की तरफ से इस हादसे के बाद से सोशल मीडिया पर ही संतावना जताई जा रही है मगर हादसे के बाद न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी ही गांव में आया है ओर न ही कोई अन्य नेता यहां पहुंचा है। शिअद के प्रत्याशी जगमीत सिंह बराड़ ने जरूर परिवारों के साथ दुख सांझा किया है।

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