केंद्र ने कहा- केरल में निपाह वायरस से दो मौतें: राज्य सरकार बोली- हम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे, लोगों को मास्क पहनने की सलाह

कोझीकोडएक घंटा पहले

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केरल में चार अन्य लोगों के सैंपल निपाह वायरस की जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे गए हैं। (कॉन्सेप्ट इमेज)

केरल के कोझिकोड में निपाह वायरस से दो लोगों की मौत हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार (12 सितंबर) को इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि हमने स्थिति का जायजा लेने और इससे निपटने में राज्य सरकार की मदद के लिए एक्सपर्ट्स की एक टीम भेजी है।

मनसुख मंडाविया के बयान के कुछ ही देर बाद इस मामले पर राज्य सरकार का बयान भी सामने आया। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि दोनों मृतकों के सैंपल जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) भेजे गए हैं। एक या दो घंटे में रिपोर्ट आ जाएगी, जिसके बाद ही हम बता पाएंगे कि मौतें निपाह वायरस की वजह से हुई हैं या नहीं।

स्वास्थ्य मंत्री ने स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को अपने क्षेत्रों में कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया है। उधर, केरल में निपाह वायरस की जांच के लिए चार अन्य लोगों के सैंपल पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) भेजे गए हैं। राज्य में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है और लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी गई है।

न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, केरल में निपाह वायरस से पहली मौत 30 अगस्त को हुई थी। वहीं, दूसरी मौत 11 सितंबर को हुई थी।

राज्य में अभी तक निपाह फैलने की घोषणा नहीं

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 12 सितंबर को एक पोस्ट कर कहा कि सरकार निपाह वायरस से हुई दो लोगों की मौत पर गंभीर है। स्वास्थ्य विभाग ने कोझिकोड में अलर्ट जारी किया है। जो लोग मृतकों के संपर्क में थे, उनके बारे में पता किया जा रहा है। अभी तक राज्य में आधिकारिक तौर पर निपाह के फैलने की घोषणा नहीं की गई है।

2018 में कोझिकोड और मलप्पुरम में निपाह से 17 की मौत हुई थी
केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम जिले में 2018 में निपाह वायरस से 17 लोगों की मौत हुई थी। इससे पहले निपाह वायरस का मामला 2019 में कोच्चि में सामने आया था। वहीं, 2021 में भी कोझिकोड में निपाह वायरस का एक केस मिला था।

2018 में ही केरल में निपाह वायरस से 31 साल की नर्स लिनी पुथुस्सेरी की मौत हो गई थी। वे आखिरी वक्त में अपने पति और दो छोटे बच्चों से नहीं मिली थीं। मौत से पहले उन्होंने अपने पति के नाम एक इमोशनल लैटर लिखा था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

लैटर में लिखा था- ‘साजी चेट्टा, मेरा आखिरी समय आ गया है। मुझे नहीं लगता कि मैं आपको देख पाऊंगी। माफ कीजिएगा। हमारे बच्चों का ध्यान रखिएगा। उन्हें गल्फ ले जाइएगा। उन्हें अकेला मत छोड़िएगा…आप सब को बहुत सा प्यार।’

निपाह जूनोटिक वायरस है

निपाह वायरस चमगादड़ और सुअर जैसे जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। इस बीमारी की मरने वालों की दर बहुत ज्यादा है। अब तक इसका कोई ट्रीटमेंट या टीका (इंजेक्शन) उपलब्ध नहीं है। जूनोटिक वायरस उसे कहते हैं, जो जानवरों से इंसानों में या इंसानों से जानवरों में फैलता है।

चमगादड़, रेबीज और निपाह वायरस भी फैलाता है
टोरंटो हेल्थ साइंस सेंटर की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. समीरा मुबारेका कहती हैं- यह पहली बार नहीं है, जब इंसानों में किसी बीमारी की वजह के रूप में चमगादड़ का नाम आया है। यह कई तरह के वायरस का वाहक है, जो पहले भी साबित हो चुका है। चमगादड़ की कुछ प्रजातियां रेबीज, इबोला और निपाह वायरस की भी वाहक रही हैं।

25 साल पहले मलेशिया में मिला था निपाह
WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मुताबिक, 1998 में मलेशिया के सुंगई निपाह गांव में पहली बार निपाह वायरस का पता चला था। इसी गांव के नाम पर ही इसका नाम निपाह पड़ा। तब सुअर पालने वाले किसान इस वायरस से संक्रमित मिले थे। मलेशिया मामले की रिपोर्ट के मुताबिक, पालतू जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, बकरी, घोड़े से भी इंफेक्शन फैलने के मामले सामने आए थे।

मलेशिया में निपाह सामने आने के बाद उसी साल इस वायरस का पता सिंगापुर में भी चला था। इसके बाद 2001 में बांग्लादेश में भी इस वायरस से संक्रमित मरीज मिले। कुछ वक्त बाद बांग्लादेश से जुड़ी भारतीय सीमा के आसपास भी निपाह वायरस के मरीज मिलने लगे।

निपाह वायरस के लक्षण
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, निपाह वायरस सिर्फ जानवरों से नहीं, बल्कि एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैलता है। WHO की मानें तो निपाह वायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों में वायरल फीवर होने के साथ सिरदर्द, उल्टी जैसा लगना, सांस लेने में तकलीफ और चक्कर आने जैसे लक्षण दिखते हैं। अगर ये लक्षण 1-2 हफ्ते तक रहते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें।

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