कृष्ण भक्ति में लीन हुए US आर्मी ऑफिसर: 10 साल यूएस आर्मी में रहे मलिक रज़ा, तालिबान के खिलाफ जंग लड़ी; अब जयपुर के कृष्ण मंदिरों को संवारने में जुटे

जयपुरएक घंटा पहलेलेखक: किरन कुमारी किंडो

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फ्रेस्को आर्ट से लेकर म्यूरल आर्ट वर्क का कंजर्वेशन कर चुके हैं आतंकियों को पकड़ने वाले हाथ।

जयपुर के 42 वर्षीय मलिक रज़ा खान ने यूएस आर्मी में 10 साल सेवाएं दी। सर्विस के आखिरी 3 साल अफगानिस्तान के वॉर जोन कंधार, शिंदाद व हेरात में गोलियां चलाई। कंधार में आईएसआईएस के 2 आतंकियों को पकड़ा। 2015 में वालिद के बुलाने पर अपने वतन लौटे। वापसी कर पिता के घरेलू बिजनेस को ज्वॉइन नहीं किया। पिता ने नए सिरे से कॅरिअर शुरू करने का चैलेंज दिया। मां और पत्नी ने मोटिवेट किया। फिर क्या था, कुछ नया करने का फैसला आर्ट कंजर्वेशन क्षेत्र में खींच लाया।

चूंकि उन्हें हमेशा से ही महलों, किलों व ऐतिहासिक स्मारकों से लगाव था। कला-संस्कृति को बचाए रखने की जिजीविषा के कारण शहर की सीनियर आर्ट कंजर्वेटर मृणालिनी बंगरू से मुलाकात हुई। इन्होंने आर्ट कंजर्वेशन सिखाया। और उनके साथ काम करते हुए महलों, किलों व स्मारकों के आर्ट कंजर्वेशन का काम मिलता चला गया। अब सालभर से मलिक 9 कलाकारों की मदद से राधा दामोदर व गोपीनाथ मंदिर की खूबसूरती लौटा रहे हैं। उनका कहना है कि इस काम को वे अंजाम देने के बाद ही वे आगे की सोचेंगे।

गोलियां चलाने वाले हाथ अब सजा रहे कृष्ण मंदिर
राधा दामोदर मंदिर-
मंदिर में कृष्ण लीला, नृत्य करती गोपियां, ढोल बजाते भक्तों की आकृतियां बनी हैं, जो विजिटर्स के छूने से खराब होने लगे थे। अगले 6 महीने में यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा।
गोपीनाथ मंदिर : मंदिर के फसाड़ में बने हुए म्यूरल आर्ट वर्क को सहेजने की जिम्मेदारी भी इन्हें दी गई है। जन्माष्टमी पर कृष्ण भक्त नए सिरे से मंदिर की खूबसूरती निहार सकेंगे।

US आर्मी में थे प्रोडक्शन कंट्रोल स्पेशलिस्ट
2004 में नौकरी की तलाश में कुवैत गए मलिक को यूएस आर्मी के सीनियर ऑफिसर ने यूएस आर्मी ज्वॉइन करने का ऑफर दिया। 2004 से लेकर 2015 तक इन्होंने प्रोडक्शन कंट्रोल स्पेशलिस्ट के रूप में काम किया। यूएस आर्मी की जिन इलाकों में पोस्टिंग होती, वहां वे गोला बारूद, टैंक्स, राॅकेट लॉन्चर सहित दूसरे हथियार उपलब्ध करवाते थे।

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