किसानों की घर वापसी: दरबार साहिब अमृतसर जा रहा जत्था करनाल से रवाना, 15 तारीख को बैठक कर बाकी मांगों पर करेंगे चर्चा

करनाल15 मिनट पहले

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रवानगी की तैयारी करते हुए किसान नेता।

सिंघु बॉर्डर से धरना खत्म करके पंजाब के लिए रवाना हुआ जत्था करनाल में रुकने के बाद रविवार सुबह निकल गया। इस जत्थे को श्री दरबार साहिब अमृतसर पहुंचना है। यह जत्था कल दिल्ली के सिंघु बॉर्डर से चलकर पहली रात करनाल के डेरा कार सेवा में रुका था। जत्था 15 दिसंबर को अमृतसर पहुंचेगा। गुरु गोविंद सिंह की लाडली फौज के निहंग सिंह जत्थे में शामिल होकर चल रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी नेतृत्व करते हुए जत्थे को आगे बढ़ा रहे हैं। चढ़ूनी ने किसानों की पेंडिंग मांगों पर 15 को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में चर्चा करने की बात कही। साथ ही पंजाब में चुनाव के दौरान अपने प्रत्याशियों को रण में उतारने की तैयारी बताई। कई मुद्दों पर गुरनाम चढ़ूनी ने अपना पक्ष रखा।

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सवाल: फतेह मार्च क्यों निकाला गया?
चढ़ूनी: 380 दिन धरने पर बैठने के बाद सबसे हठी प्रधानमंत्री जनता के आगे झुका है, इसलिए फतेह मार्च शुरू किया गया है। 15 को अमृतसर पहुंचेंगे। श्री हरमंदिर साहिब जाएंगे।

रवानगी करते हुए जत्थे में शामिल निहंग सिंह।

रवानगी करते हुए जत्थे में शामिल निहंग सिंह।

सवाल: जीत का श्रेय किसको जाता है?
चढ़ूनी:
आंदोलन के दौरान शहीद हुए 750 किसानों को जीत का श्रेय जाता है। साथ ही 1 साल तक बुजुर्ग-बच्चे जो सड़कों पर बैठे हुए थे, उनको जाता है। लोगों के अंदर उत्साह है, जोश है, लंबे संघर्ष के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री को झुकाया है। इसी खुशी में जगह-जगह स्वागत समारोह किए जा रहे हैं।

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सवाल: आगे की क्या योजना है?
चढ़ूनी:
15 दिसंबर को फिर से संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक है। इस बैठक में लंबित मांगों पर चर्चा की जाएगी। यह बैठक एक महीने में एक बार जरूर की जाएगी। अगर कहीं भी सरकार गड़बड़ करती है तो आंदोलन फिर शुरू किया जाएगा।

सवाल: पंजाब-यूपी में चुनाव हैं, किसानों की क्या योजना रहेगी?
चढ़ूनी:
पंजाब में हम मिशन पंजाब चला रहे हैं। वहां पर अपने लोगों को चुनाव लड़ाएंगे। चुनाव में किसान अपनी पावर दिखाएंगे। उत्तर प्रदेश के बारे में विचार विमर्श किया जाएगा।

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किसानों को गुरुद्वारा की तरफ से सरोपा भेंट किया गया।

किसानों को गुरुद्वारा की तरफ से सरोपा भेंट किया गया।

सवाल: किसानों के आंदोलन का लक्ष्य यही था?
चढ़ूनी:
यह पहली सीढ़ी है, जो किसानों ने जीती है। जो जंग पूंजीवाद के विरुद्ध है, 3 कानून भी उसका ही एक हिस्सा है। अभी पूरी जंजीर तोड़नी बाकी है। पूंजीवाद के चलते छोटे दुकानदार, किसान, मजदूर समेत सबके काम पर असर पड़ता है। पूंजीवादी मोटी रकम हड़प रहे हैं। उस पर लगाम लगाना जरूरी है। रोजाना की इनकम को बराबर लाना है।

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