काशी : वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाला तीन दिवसीय उत्सव खुला | वाराणसी समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया

वाराणसी : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार और वाराणसी प्रशासन के सहयोग से ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय उत्सव-काशी उत्सव रुद्राक्ष अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में शुरू हुआ। और कन्वेंशन सेंटर मंगलवार को। वाराणसी को इस उत्सव के लिए अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, शानदार इतिहास और देदीप्यमान सुंदरता के कारण चुना गया है।
का पहला सत्र काशी उत्सव आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ शिदानंद जोशी, पुरातत्वविद् प्रोफेसर मारुति नंदन तिवारी, आलोचक ने उद्घाटन किया Virendra Mishra और आईजीएनसीए की निदेशक प्रियंका मिश्रा।
महोत्सव की शुरुआत कथक प्रदर्शन से हुई। प्रख्यात कवि डॉ कुमार विश्वास ने ‘मैं’ पर प्रस्तुति दी काशी तीन दिवसीय उत्सव के उद्घाटन के दिन जयशंकर प्रसाद की क्लासिक कविता पर आधारित हुन’ और ‘कामायनी: नृत्य नाटक’ पर एक नाट्य प्रस्तुति प्रस्तुत की गई। नाटक का निर्देशन किया है Vyomesh Shukla वाराणसी के। पहले दिन की घटनाएं वाराणसी के साहित्यिक आंकड़ों पर केंद्रित ‘काशी के हस्ताक्षर’ विषय पर आधारित थीं।
A theme has been dedicated to each day of the festival. Theme of the second day will be ‘Kabir, Raidas ki Bani aur Nirgun Kashi’ and the concluding day will have the theme ‘Kavita aur Kahani – Kashi ki Zubani’.
महोत्सव के समापन के दिन भाजपा सांसद एवं गायक मनोज तिवारी ‘तुलसी की काशी’ पर संगीतमय प्रस्तुति देंगे। महोत्सव के दौरान कलापिनी कोमकली, भुवनेश कोमकली, पद्म श्री भारती बंधु और मैथिली ठाकुर जैसे कलाकारों द्वारा कई भक्ति प्रदर्शन भी प्रस्तुत किए जाएंगे।
तीन दिवसीय उत्सव काशी की प्रसिद्ध हस्तियों, भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, संत रैदास, संत कबीरदास, गोस्वामी तुलसीदास और मुंशी प्रेमचंद सहित प्रसिद्ध हस्तियों को समर्पित है। तीन दिवसीय समारोह के दौरान प्रतिष्ठित कलाकारों द्वारा पैनल चर्चा, प्रदर्शनियों, फिल्म स्क्रीनिंग, संगीत, नाटक और नृत्य प्रदर्शन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से इन साहित्यिक हस्तियों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जाएगा।
प्रस्तुत किए जाने वाले अन्य कार्यक्रमों में रानी लक्ष्मी बाई पर आधारित एक नाटक, एनएसडी से भारती शर्मा द्वारा निर्देशित ‘खूब लड़ी मर्दानी’ शामिल हैं। यह नाटक 18 नवंबर को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। महोत्सव के दौरान वाराणसी की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत पर आईजीएनसीए के कई चित्र भी प्रदर्शित किए जाएंगे। प्रदर्शित होने वाली फिल्मों में वीरेंद्र मिश्रा की ‘बनारस एक सांस्कृतिक प्रयोगशाला’, पंकज पाराशर द्वारा निर्देशित ‘मेरी नज़र में काशी’ और ‘मनभवन काशी’, दीपक चतुर्वेदी द्वारा निर्देशित ‘काशी पवित्र भुगोल’, ‘मेड इन बनारस’ शामिल हैं। Satyaprakash Upadhyay, ‘Kashi Ganga Vishveshvarai’ and ‘Muktidham’ by Radhika Chandrasekhar, ‘Kashi ki Aitihasikta’ and ‘Kashi ki Hastiyaan’ by Arjun Pandey.
An exhibition of books and six literary personalities has also been organised at the festival. Renowned speakers including Dr Sachchidanand Joshi, Prof Maruti Nandan Tiwari, Virendra Mishra, Prof Niranjan Kumar, Anant Vijay, Prof Poonam Kumari Singh, Prof Vishambhar Nath Mishra; Dr Sadanand Shahi, Dr Uday Pratap Singh are participating in the panel discussions on six luminaries of Kashi.

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