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- पंजाब में सियासी घमासान के बाद पार्टी विधायकों के साथ नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा की बैठक बेहद अहम, चंडीगढ़ में पूर्व सीएम की कोठी में जुटेंगे कांग्रेस विधायक
रेवाड़ी11 मिनट पहले
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पंजाब में जातिगत राजनीतिक के तहत नए CM चरणजीत सिंह चन्नी की ताजपोशी के बाद हरियाणा कांग्रेस में भी नई सियासत सुगबुगाहट शुरू हो गई है। पड़ोसी राज्य में इस सियासी उठापठक के बाद हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा ने चंडीगढ़ स्थित अपनी सरकारी कोठी पर बुधवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई है। पंजाब के ताजा घटनाक्रम के मद्देनजर सेक्टर-7 स्थित कोठी पर होने वाली विधायकों की बैठक काफी अहम है।
पंजाब की राजनीति में कांग्रेस हाईकमान ने जातिगत कार्ड खेलते हुए चरणजीत सिंह चन्नी को नया मुख्यमंत्री बनाया है। हालांकि इस पूरे प्रकरण से पहले जिन हालात में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दिया उसे देखते हुए हरियाणा कांग्रेस में अंदरखाते चर्चाएं तेज हैं। हरियाणा में वर्तमान में कांग्रेस के 31 MLA हैं, इनमें से 29 MLA को हुड्डा समर्थक कहा जाता है। लेकिन बदले हालात के बीच पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा इस मीटिंग के बहाने MLA की नब्ज टटोलने का काम करेंगे। हालांकि मीटिंग के लिए कोई स्पष्ट एजेंडा अभी नहीं दिया गया है फिर भी कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने वाली है।
तीन दिन चंडीगढ़ में ही डेरा जमाएंगे हुड्डा
पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा बुधवार दोपहर तक चंडीगढ़ पहुंचेंगे और उसके बाद अगले 3 दिन यहीं प्रवास होगा। पहले ही दिन हुड्डा ने कांग्रेस के तमाम MLA को सरकारी कोठी पर बैठक के लिए आमंत्रित किया है। 23 सितंबर को हुड्डा प्रेसवार्ता भी करेंगे। हुड्डा बैठक के जरिये कई संदेश देने की कोशिश करेंगे। बैठक में पहुंचने वाले विधायकों की संख्या पर भी सबकी नजर है। ऐसे में पंजाब के उटलफेर के बाद हुड्डा की बैठक के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
मीटिंग का एजेंडा तक तय नहीं
विधायकों को भेजे गए संदेश में मीटिंग को लेकर अभी तक कोई एजेंडा क्लीयर नहीं हैं। अनौपचारिक रूप से कांग्रेस विधायक दल की बैठक में तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान संगठनों के आंदोलन समेत जनहित के अन्य मसलों पर चर्चा होनी है। हालांकि चर्चा है कि बैठक में पंजाब का घटनाक्रम ही मुख्य एजेंडा रहेगा। वहीं प्रदेश में भाजपा-जजपा सरकार के विरुद्ध आंदोलन रणनीति के अलावा अन्य सियासी मसलों पर भी विमर्श हो सकता है।
मौके की नजाकत समझ रहे हुड्डा
भपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा की राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं। मौके की नजाकत को भी हुड्डा भली भांति पहचान रहे हैं। पंजाब में जिस तरह अपनी मनमानी कर रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह को किनारे कर दिया गया उससे उनकी चिंता बढ़ना स्वभाविक है। क्योंकि हुड्डा भी हरियाणा में कैप्टन की तरह ही हाईकमान को दरकिनार करते रहे हैं। ऐसे में पंजाब के घटनाक्रम के बीच हुड्डा की विधायक दल की कॉल पर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह के कयास लग रहे हैं।
गुटबाजी का खामियाजा भुगत रही कांग्रेस
हरियाणा में पिछले 7 साल से कांग्रेस का संगठन खड़ा नहीं हो पाया। इसके पीछे प्रदेश कांग्रेस में आपसी गुटबाजी हावी होना रहा है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर का पत्ता कटने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट ने कमान संभालने की तैयारी कर ली थी। लेकिन हाईकमान ने उस समय भी कुमारी सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष बना दिया।
हुड्डा खेमा चाहता है अपना प्रदेशाध्यक्ष
सैलजा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद हुड्डा खेमे के साथ तनाव लगातार बढ़ रहा है। हुड्डा खुद की पसंद के किसी नेता को हरियाणा कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनवा चाहते हैं। इसके लिए हुड्डा खेमे ने कई बार प्रयास भी किए। जुलाई में ही हरियाणा कांग्रेस के 19 विधायकों ने दिल्ली में हाईकमान से प्रदेशाध्यक्ष बदलने की मांग की थी। हालांकि बात नहीं बनी।
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