कल भंग हो सकती है हरियाणा विधानसभा: CM सैनी ने अर्जेंट कैबिनेट मीटिंग बुलाई; संवैधानिक संकट से बचने के लिए फैसला लेंगे – Haryana News

हरियाणा में 12 सितंबर से पहले विधानसभा का मानसून सत्र बुलाने और विधानसभा भंग करने के संवैधानिक संकट के बीच हरियाणा सरकार ने अर्जेंट मंत्रिमंडल की बैठक बुला ली है। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में विधानसभा भंग करने का फैसला लिया जाएगा।

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मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में सरकार के अधिकांश मंत्री शामिल होंगे। सुबह ‌BJP के उम्मीदवारों के नॉमिनेशन के कारण मीटिंग का समय कल शाम को तय किया गया है।

मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से अभी तक बैठक का समय निर्धारित नहीं किया गया है, लेकिन सैनी के मंत्रियों को इसकी सूचना भेजी जा चुकी है। कुछ मंत्रियों के बैठक में शामिल न होने की स्थिति में उन्हें वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़ने के आदेश दिए गए हैं।

संविधान विशेषज्ञों की राय के अनुसार, ऐसा करना सरकार के लिए जरूरी है। वजह साफ है कि 6 माह के अंतराल से पूर्व सदन का अगला सत्र बुलाना संवैधानिक अनिवार्यता है। बेशक प्रदेश विधानसभा के ताजा चुनाव घोषित कर दिए गए हो।

विधानसभा भंग करना ही सिंगल ऑप्शन विधायी एवं संवैधानिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार का कहना है कि बेशक चुनाव आयोग ने 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी हो, उसमें भी सरकार सत्र बुला सकती है। उनका कहना है कि 14वीं हरियाणा विधानसभा, जिसका कार्यकाल 3 नवंबर 2024 तक है, एवं जिसका पिछला एक दिन का विशेष सत्र 5 माह पूर्व 13 मार्च 2024 को बुलाया गया था।

ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 174(1) की सख्त अनुपालना में मौजूदा प्रदेश विधानसभा का एक सत्र, बेशक वह एक दिन या आधे दिन की अवधि का ही क्यों न हो, वह आगामी 12 सितम्बर 2024 से पहले बुलाना अनिवार्य है।

क्या कहता है संविधान… संविधान में स्पष्ट उल्लेख है कि पिछले सत्र की अंतिम बैठक और अगले सत्र की प्रथम बैठक के बीच 6 महीने का अंतराल नहीं होना चाहिए। सरकार की ओर से पिछली कैबिनेट बैठक में मानसून सत्र पर कोई फैसला नहीं लिया गया था। ऐसे में अब सरकार के पास हरियाणा विधानसभा को समयपूर्व भंग करने के लिए राज्यपाल से सिफारिश करना ही एकमात्र विकल्प बचा है।

हरियाणा में संवैधानिक संकट का कारण हरियाणा में चुनाव की घोषणा के बाद संवैधानिक संकट खड़ा हुआ है। इसकी वजह 6 महीने के भीतर एक बार विधानसभा सेशन बुलाना है। राज्य विधानसभा का अंतिम सेशन 13 मार्च को हुआ था। उसमें नए बने CM नायब सैनी ने विश्वास मत हासिल किया था। इसके बाद 12 सितंबर तक सेशन बुलाना अनिवार्य है।

यह संवैधानिक संकट ऐतिहासिक भी है, क्योंकि देश आजाद होने के बाद कभी ऐसी स्थिति नहीं आई। हरियाणा में ही कोरोना के दौरान भी इस संकट को टालने के लिए 1 दिन का सेशन बुलाया गया था। 6 माह में सत्र न बुलाने का इतिहास में उदाहरण नहीं है।

संविधान के जानकार मानते हैं कि वैसे तो यह महज कागजी औपचारिकता है, लेकिन संवैधानिक तौर पर अनिवार्य होने से इसे हर हाल में पूरा करना होगा। ऐसी सूरत में भी सेशन न बुलाया गया हो, ऐसा कोई उदाहरण देश में नहीं है।

14वीं विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक राज्य में इस समय 15वीं विधानसभा चल रही है। 15वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है। इसका नोटिफिकेशन 5 सितंबर को जारी हो गया है। 5 अक्टूबर को वोटिंग और 8 अक्टूबर को काउंटिंग होगी। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक है।