कर्नाटक गवर्नर ने CM सिद्धारमैया को नोटिस जारी किया: MUDA घोटाले को लेकर जवाब मांगा; डिप्टी CM शिवुकमार बोले- यह लोकतंत्र की हत्या है

बेंगलुरु20 मिनट पहले

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तस्वीर 10 अगस्त 2023 की है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (बाएं) और गवर्नर थावर चंद गहलोत (दाएं) बेंगलुरू में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) से मुआवजे के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में घिरे कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्होंने सिद्धारमैया से उनकी पत्नी को महंगी साइट्स के आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है।

MUDA स्कैम को लेकर 25 जुलाई को राज्यपाल से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें मामले की CBI जांच कराने की मांग की गई थी। इसी दौरान वकील और कार्यकर्ता टीजे अब्राहम ने सिद्धारमैया पर केस चलाने की अनुमति मांगी थी। गुरुवार को राज्यपाल ने इस मामले पर संज्ञान लिया और सिद्धारमैया को नोटिस जारी कर उनका रुख स्पष्ट करने को कहा।

नोटिस जारी होने के बाद कर्नाटक कैबिनेट की मीटिंग बुलाई गई। इसमें सिद्धारमैया को जारी नोटिस पर मंत्रियों ने चर्चा की। हालांकि, मीटिंग में सिद्धारमैया शामिल नहीं हुए थे। इस मीटिंग की अध्यक्षता डिप्टी CM डीके शिवकुमार ने की थी। मीटिंग में राज्यपाल से नोटिस वापस लेने का आग्रह करने का फैसला लिया गया है। मीटिंग के बाद शिवकुमार बोले- राज्यपाल का फैसला लोकतंत्र और संविधान की हत्या करने के बराबर है।

डिप्टी CM बोले- केंद्र सरकार राज्यपाल का इस्तेमाल कर रही है
शिवकुमार ने कहा कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को MUDA से वैकल्पिक साइट मिलने में कुछ भी अवैध नहीं है। शिवकुमार ने कहा कि मुकदमे का सवाल ही नहीं उठता।मुझे उम्मीद है कि राज्यपाल नोटिस वापस ले लेंगे और किसी भी दबाव के बावजूद अपने पद की गरिमा बनाए रखेंगे।

लोकतांत्रिक व्यवस्था में भारी बहुमत से चुने गए मुख्यमंत्री के खिलाफ यह कार्रवाई लोकतंत्र की हत्या है और केंद्र द्वारा संविधान के लिए हानिकारक है। केंद्र सरकार राज्यपाल का इस्तेमाल कर रही है। यह एक राजनीतिक, दुर्भावनापूर्ण कारण बताओ नोटिस है। हमें राज्यपाल से इसकी कभी उम्मीद नहीं थी।

क्या है 50:50 अनुपात भूमि आवंटन योजना
ये योजना कर्नाटक में पिछली भाजपा और वर्तमान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान लागू की गई थी। भूमि आवंटन में विवाद इस कारण सुर्खियों में है क्योंकि कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की पत्नी 2021 में MUDA की इस स्कीम में एक लाभार्थी थीं।

दरअसल इस स्कीम के तहत, मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) किसी भूमि पर आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए भूमि अधिग्रहण कर सकेगी। अधिग्रहण के बदले लैंड ओनर्स को 50% जमीन किसी विकसित लोकेशन पर दिया जाएगा। लेकिन इस स्कीम पर बढ़ते विवाद के चलते 2023 में शहरी विकास मंत्री बैराठी सुरेश ने वापस ले लिया था।

कब और क्या आरोप लगे?
केंद्र में भाजपा की सहयोगी जनता दल सेक्युलर के नेता और केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने दावा किया है कि मैसूर में वैकल्पिक भूमि आवंटन योजना को लेकर विवाद कांग्रेस पार्टी में सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के बीच सीएम पद के लिए खींचतान का परिणाम है।

भूमि आवंटन घोटाले का खुलासा एक RTI एक्टिविस्ट ने करते हुए कहा कि, पिछले चार वर्षों में 50:50 योजना के रूप में जानी जाने वाली योजना के तहत 6,000 से अधिक साइटें आवंटित की गई हैं।

इस योजना के तहत, जिन लैंड ओनर्स की भूमि MUDA द्वारा अधिग्रहित की गई है, उन्हें मुआवजे के रूप में अधिक मूल्य की वैकल्पिक साइटें आवंटित की गई हैं। ऐसे आरोप हैं कि मैसूर में जिन लोगों की जमीन नहीं गई, उन्हें भी इस योजना के तहत अधिक मूल्य की वैकल्पिक साइटें दी गईं।

घोटाले की जांच की मांग की गई
5 जुलाई को एक्टिविस्ट कुरुबरा शांथकुमार ने गवर्नर को चिट्ठी लिखते हुए कहा कि- मैसूर के डिप्टी कमिश्नर ने MUDA को 8 फरवरी 2023 से 9 नवंबर 2023 के बीच 17 पत्र लिखे हैं और 27 नवंबर को शहरी विकास प्राधिकरण, कर्नाटक सरकार को 50:50 अनुपात घोटाले और MUDA कमिश्नर के खिलाफ जांच के लिए लिखा था। इसके बावजूद, MUDA के कमिश्नर ने कानून के डर के बिना हजारों साइटों को आवंटित किया। ऐसे में अब इस कथित घोटाले को लेकर भाजपा मौजूदा कर्नाटक सरकार पर हमलावर है।

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