एक देश-एक चुनाव 2029 में संभव: राज्यों की सहमति जरूरी नहीं; लॉ कमीशन इसी महीने कानून मंत्रालय को दे सकता है रिपोर्ट

नई दिल्ली7 मिनट पहलेलेखक: मुकेश कौशिक

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लॉ कमीशन के अनुसार, एक चुनाव के लिए संविधान के चुनाव, विधानसभा और लोकसभा के गठन और विघटन से जुड़े तीन आर्टिकल में बदलाव करने होंगे।

एक देश-एक चुनाव पर लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट लगभग तैयार कर ली है। कमीशन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली हाई लेवल कमेटी से चर्चा कर इसे केंद्रीय कानून मंत्रालय को सौंपेगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि परिसीमन के बाद 2029 में एक देश-एक चुनाव संभव है।

लॉ कमीशन 2026 में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद इस रास्ते पर बढ़ने का सुझाव देने की तैयारी में है। इससे विधानसभाओं और लोकसभा सीटों की संख्या का सही पता चल जाएगा। साथ ही निर्वाचन आयोग के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए जरूरी संसाधन पर फैसले लिए जा सकेंगे।

लॉ कमीशन का मानना है कि संविधान के आर्टिकल 368(2) के तहत इसके लिए राज्यों की इजाजत लेने की जरूरत नहीं है। आयोग इस बारे में तैयार रिपोर्ट अब पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी से परामर्श लेगा।

इसके बाद मिले सुझावों के आधार पर रिपोर्ट को अंतिम रूप देगा। सूत्रों का कहना है कि अक्टूबर माह के अंत तक यह कानून मंत्रालय के पास पहुंच जाएगी।

2 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता वाली वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी का गठन हुआ था

2 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता वाली वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी का गठन हुआ था

4 से 6 महीने तक चल सकती है प्रक्रिया
इस रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान और संसद की नियमावली में बस कुछ बदलाव करने होंगे। हालांकि, यह प्रक्रिया लगभग 4 से 6 महीने तक चल सकती है। इससे अधिक से अधिक विधानसभाएं एक साथ चुनाव के दायरे में आ जाएंगी।

इन अनुच्छेदों में होगी संशोधन की जरूरत
लॉ कमीशन के अनुसार, एक चुनाव के लिए संविधान के चुनाव, विधानसभा और लोकसभा के गठन और विघटन से जुड़े आर्टिकल 83, 85, आर्टिकल 172 और 174 में बदलाव करने होंगे।

आर्टिकल 356 को एक बार के लिए बदलना होगा। इसके तहत एक चुनाव के लिए विधानसभाओं को भंग करने का अधिकार दिया जा सके।

स्थानीय निकाय चुनाव राज्यों पर छोड़ने की मंशा
लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में लोकसभा और विधानसभा चुनाव ही साथ कराने की सिफारिश की है। वहीं, कोविंद कमेटी के दायरे में स्थानीय निकाय चुनाव को भी शामिल किया गया है। सूत्रों के अनुसार, आयोग का मानना है कि स्थानीय निकाय चुनाव राज्यों का मामला है और यह उन्हीं पर छोड़ दिया जाना चाहिए।

दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में 23 को कोविंद कमेटी की पहली बैठक हुई थी।

दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में 23 को कोविंद कमेटी की पहली बैठक हुई थी।

निर्वाचन आयोग भी एक देश एक चुनाव पर तैयार
निर्वाचन आयोग कह चुका है कि लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ करने के लिए उसके पास संसाधन हैं। पांच वर्ष में ईवीएम और वेयर हाउसिंग की सुविधा पर्याप्त हो जाएगी। विभिन्न एजेंसियों के अनुसार 3 से 6 महीने चुनाव के दौरान सुरक्षाकर्मियों के आवागमन में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी।

देश में 1967 तक एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था थी
गौरतलब है कि एक देश, एक चुनाव का मकसद लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव कराना है। वर्ष 1967 तक यही व्यवस्था थी। दल-बदल, सरकारों की बर्खास्तगी और सरकार गिरने जैसे कारणों से व्यवस्था बाधित हो गई।

इसकी शुरुआत 1959 में हुई, जब केंद्र ने केरल सरकार को बर्खास्त करने के लिए अनुच्छेद 356 लागू किया। फिलहाल अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम के विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होते हैं।

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