उदयपुर तालिबानी हत्याकांड में कब मिलेगा कन्हैयालाल को इंसाफ?: 150 से ज्यादा गवाह, अब तक 3 की गवाही; एक्सपर्ट बोले-फैसले में लग सकते हैं 20 साल – Rajasthan News

28 जून, 2022 को उदयपुर में हुए तालिबानी हत्याकांड को कौन भूल सकता है। भाजपा नेता नुपूर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पोस्ट करने पर टेलर कन्हैयालाल साहू की दिनदहाड़े गला काटकर हत्या कर दी गई।

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करोड़ों लोगों ने इस दिल दहला देने वाले हत्याकांड का वीडियो देखा था। कन्हैयालाल का गला काटने वाले गौस-रियाज समेत 11 आरोपी हैं। इनमें से 2 पाकिस्तान में बैठे हैं।

हत्याकांड को 2 साल हो गए हैं। इसके बावजूद हत्यारों को अब तक सजा नहीं मिली है। इंसाफ का इंतजार है कन्हैयालाल की अस्थियों को… इंसाफ का इंतजार है कि एक बेटे के नंगे पैरों को।

भास्कर ने एक्सपट्‌र्स से बात की और जाना कि दो साल बाद भी हत्यारों को सजा क्यों नहीं सुनाई गई? इंसाफ के लिए कन्हैयालाल के परिवार को और कितना इंतजार करना पड़ेगा।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

यह वीडियो 28 जून का है। इस दिन कन्हैयालाल साहू की रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद ने धारदार हथियार से गर्दन काट दी थी।

दिसंबर 2022 में पेश की चार्जशीट

28 जून, 2022 को भाजपा नेता नुपूर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पोस्ट करने पर उदयपुर के मालदास स्ट्रीट इलाके में भूतमहल गली स्थित दुकान में गौस मोहम्मद और मोहम्मद रियाज अत्तारी ने कन्हैयालाल साहू की धारदार हथियार से गर्दन काट दी थी।

घटना के बाद 29 जून को राजस्थान पुलिस ने FIR दर्ज की थी। आतंकी कनेक्शन होने के कारण मामले की जांच NIA के सुपुर्द कर दी गई।

घटना के 177 दिन बाद 12 दिसम्बर, 2022 को NIA ने 11 लोगों को आरोपी बनाया और उनके खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में पेश की।

मामले में पिछले साल आरोपियों पर चार्ज फ्रेम (आरोप की धाराएं तय) हो चुके हैं। करीब एक साल से ट्रायल चल रहा है।

अदालत ने 150 गवाहों को बुलाना शुरू कर दिया है। अब तक 3 गवाहों की गवाही हो चुकी है। अब 6 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई है। इसमें महत्वपूर्ण गवाह कन्हैयालाल के बड़े बेटे यश तेली की गवाही होनी है।

पिता को इंसाफ दिलाने के लिए बेटे के 3 प्रण

कन्हैयालाल के बेटे यश ने अपने पिता की हत्या के बाद 3 प्रण लिए थे। पहला- पिता के हत्यारों को फांसी की सजा मिलने पर ही वे अस्थियों का गंगा में वि​सर्जन करेंगे। दूसरा- सजा होने तक वे जूते-चप्पल नहीं पहनेंगे। दो साल से वे नंगे पैर ही रह रहे हैं। तीसरा- सजा होने तक बाल भी नहीं कटवाएंगे।

ट्रायल शुरू होने में क्यों लगा एक साल

घटना के 10 महीने तक हत्या के आरोपी गौस और रियाज का केस लड़ने के लिए कोई वकील भी नहीं मिला था। वकीलों ने तय कर लिया था कि गौस और रियाज का केस नहीं लड़ेंगे।

कोर्ट ने लगभग हर पेशी पर गौस और रियाज से पूछा- आपका कोई वकील है, तो बता दीजिए। क्या आपको सरकारी वकील चाहिए? लेकिन हर बार गौस और रियाज ने कोर्ट से कहा कि हम प्रयास कर रहे हैं। हम अपनी पैरवी के लिए खुद का वकील करवाएंगे।

कोर्ट ने अप्रैल, 2023 से पहले की सुनवाई में पूछा था कि क्या कोई वकील तैयार हुआ? गौस-रियाज ने कहा कि अभी तो कोई वकील नहीं मिला है, शायद हमारे प्रयास से नहीं हो पाएगा।

इसके बाद कोर्ट ने इंतजार नहीं किया। अप्रैल में कोर्ट ने दोनों आरोपियों को लीगल एड देने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण को पत्र लिखा।

इसके बाद प्राधिकरण ने दोनों की पैरवी के लिए एक वकील मई, 2023 में उपलब्ध करवा दिया। इसके बाद केस आगे बढ़ा।

कन्हैयालाल के घर पर 24 घंटे पुलिस तैनात रहती है।

कन्हैयालाल के घर पर 24 घंटे पुलिस तैनात रहती है।

150 से ज्यादा गवाह, 3 साल से ज्यादा समय गवाही में निकलेगा

मुख्य ट्रायल शुरू होने के बाद NIA की ओर से कोर्ट में गवाह पेश होना शुरू हो गए हैं। गवाहों से बचाव पक्ष के वकील सवाल-जवाब (क्रॉस एग्जामिन) करेंगे।

फिर, बचाव पक्ष भी अपने गवाह पेश करना शुरू करेगा और NIA के वकील इनके गवाहों से सवाल-जवाब करेंगे। एक्सपट्‌र्स के अनुसार जितने ज्यादा गवाह होते हैं, उतनी ही लंबी प्रक्रिया चलती है।

NIA ने कोर्ट में इस मामले में 150 से ज्यादा लोगों को गवाह बनाया है। इसके बाद मुख्य आरोपियों सहित हत्याकांड की साजिश के 9 आरोपी हैं।

इनके वकील भी अपने-अपने गवाह पेश करेंगे। बचाव पक्ष के वकील के गवाहों की संख्या भी 100 तक हो सकती है। ऐसे में इस मामले में करीब 250 गवाहों की गवाही हो सकती है।

गवाहों के कोर्ट में आने में भी कई मुश्किलें होती हैं। कई गवाह कोर्ट आते नहीं हैं। इसके बाद कोर्ट उन्हें नोटिस जारी करता है। इसके बाद भी नहीं आने पर समन भेजता है।

समन तामील पुलिस करवाती है। एक्सपट्‌र्स का कहना है कि कोर्ट अगर बहुत तेजी से भी काम करेगा, तो भी काफी अधिक गवाह होने के कारण उनको बुलाने की प्रक्रिया ही 3 साल से अधिक का समय लेगी।

यह फोटो 4 जुलाई, 2023 का है। जब सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया था।

यह फोटो 4 जुलाई, 2023 का है। जब सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया था।

सजा तक पहुंचने में लग सकते हैं 20 साल, दो आरोपी पाकिस्तान में

उदयपुर हत्याकांड के 11 आरोपी हैं। गौस, रियाज सहित साजिश में शामिल 9 आरोपी अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में बंद हैं। सभी को अलग-अलग बैरक में न्यायिक हिरासत में रखा जा रहा है।

वहीं 2 आरोपी सलमान और अबू इब्राहिम पाकिस्तान के कराची के रहने वाले हैं। इन दोनों पर कन्हैयालाल की हत्या के लिए गौस और रियाज को उकसाने व साजिश के आरोप हैं।

एक्सपट्‌र्स का मानना है कि चश्मदीद गवाह, वीडियो में दर्ज घटना और सभी सबूत होने के बावजूद अदालती प्रक्रिया के तहत सजा होते होते मुख्य आरोपियों गौस और रियाज को कम से कम 20 साल लग जाएंगे।

पाकिस्तान में बैठे आरोपियों को हिरासत में लेना आसान नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर का मामला है। ऐसे में केंद्रीय गृह विभाग के स्तर पर दखल देना होगा।

इनकी गिरफ्तारी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच चिट्ठियां चलने के दौर लम्बे चलेंगे। इस मामले में सबसे अधिक समय इन दो आरोपियों तक पहुंचने में लगेगा।

हालांकि NIA के पास देश के बाहर भी जांच करने की पावर है। जरूरत पड़ने पर NIA जांच के लिए पाकिस्तान, नेपाल या अरब देशों में भी जा सकती है।

पाकिस्तान के ये दो आरोपी भी शामिल!

10. सलमान (कराची)

11. अबू इब्राहिम (कराची)

बेटे को धूप में नंगे पैर देख दिल बैठ जाता है : जसोदा देवी

कन्हैयालाल की पत्नी जसोदा देवी का कहना है कि एनआईए और सरकार से यही उम्मीद रखती हूं कि इस केस को जल्द से जल्द फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाया जाना चाहिए।

3 से 6 माह में हत्यारों को सजा मिलनी चाहिए। अब ज्यादा देरी नहीं होनी चाहिए। बेटे को दो साल से नंगे पैर इस चिलचिलाती धूप में ड्यूटी पर जाते देख रही हूं, दिल बैठ जाता है।

पति के जाने के बाद हर दिन न्याय की आस में गुजार रहे हैं कि इंसाफ आखिर कब मिलेगा? अपराधियों को सजा ​कब होगी?

लगता है, पापा आसपास हैं : यश

कन्हैयालाल के बेटे यश ने बताया कि मेरे जन्मदिन से पहले पापा ने सिलाई मशीन खरीदी थी। जब भी मशीन को देखता हूं, लगता है पापा आसपास ही हैं।

घटना के बाद से जांच को लेकर दुकान बंद थी। एनआईए ने जब हमें दुकान की चाबी सौंपी। तब हमने वह दुकान खोलकर सिलाई मशीन निकाली और घर पर लेकर आए। सजा नहीं होगी, तब तक अपने प्रण नहीं तोड़ूंगा।

बेटे का प्रण है कि पिता के हत्यारों को फांसी की सजा मिलने पर ही उनकी अस्थियों का गंगा में विसर्जन करेंगे।

बेटे का प्रण है कि पिता के हत्यारों को फांसी की सजा मिलने पर ही उनकी अस्थियों का गंगा में विसर्जन करेंगे।

24 घंटे सुरक्षा पहरे में रहता है परिवार

कन्हैयालाल के बेटे यश ने कहा कि 2 साल बीत गए। इस मामले में जल्द कार्रवाई होनी चाहिए थी। तीन से छह माह में हमें न्याय की आस थी, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला है।

इस पूरे मामले की एनआईए जांच कर रही है। घटना के बाद से परिवार को राज्य सरकार ने पुलिस की सुरक्षा दी हुई है। कन्हैयालाल के बेटे ने कहा कि राजस्थान से बाहर जाने पर पहले स्थानीय थाना पुलिस को सूचना देनी पड़ती है।

आने के बाद स्थानीय थाना पुलिस को बताना पड़ता है। 24 घंटे घर पर पुलिस तैनात रहती है। ड्यूटी के दौरान भी सुरक्षा गार्ड रहते हैं।

ऐसे केस में दूसरे देशों में क्या होता है…

NIA कोर्ट के अंतिम फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। वहां से भी हार मिली तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

अंत में यदि कड़ा फैसला आता है, तो राष्ट्रपति से भी दया याचिका लगाने का प्रावधान है। इस प्रक्रिया में सालों तक आरोपी अपनी असल सजा तक नहीं पहुंच पाते।

ग्लोबल लॉ एक्सपर्ट समर्थ कुमार ने बताया कि भारत का ट्रायल सिस्टम बहुत ज्यादा लंबा है। हमारे यहां लोअर कोर्ट में एवरेज ट्रायल टाइम 2 से 5 साल है जबकि दूसरे देशों में ऐसा नहीं है।

वहीं भारत में इसके बाद अपील और हायर कोर्ट का एवरेज ट्रायल टाइम 15 से 30 साल तक है। अमेरिका में लोअर कोर्ट में एवरेज ट्रायल टाइम महज 6 महीने है। वहीं, घटना के बाद 9 से 36 महीने में सभी हायर कोर्ट से फाइनल जजमेंट तक आ जाता है।

एडवोकेट अजय कुमार जैन ने बताया कि ब्रिटिश काल के दौरान साल 1860 में लॉर्ड टॉमस बैबिंग्टन मैकॉले की बनाई भारतीय दण्ड संहिता (इंडियन पीनल कोड) देश में लागू की गई थी। ये बहुत पुराना है, हालांकि इसमें समय-समय पर संशोधन होते रहे हैं। हमारे देश में अमेरिका के फेडरल पीनल कोड की तुलना में अपराधों में दी जाने वाली सजा बहुत कम है।

NIA की सक्सेस रेट 90 फीसदी से ज्यादा

जिस तरह अमेरिका में FBI है, वैसे ही भारत में NIA है। NIA भारत ही नहीं, दुनिया के किसी भी कोने में जाकर जांच कर सकती है। भारत सरकार ने जब भी NIA को कोई जांच सौंपी है, तो सक्सेस रेट 90 प्रतिशत से ज्यादा रहा है।

NIA आतंकवाद, साइबर आतंकवाद, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, परमाणु ठिकानों से जुड़े अपराधों को डील करती है। यह संस्था भारत के किसी भी हिस्से में आतंकी गतिविधि का खुद संज्ञान लेकर केस दर्ज कर सकती है।

किसी भी राज्‍य में घुसने, जांच करने और लोगों को गिरफ्तार करने के लिए NIA को राज्‍य सरकार की अनुमति नहीं चाहिए। देश से बाहर भी जांच करने के अधिकार।

अगर NIA कोर्ट में ट्रायल चल रहा है, तो आरोपी को किसी और अदालत में, किसी और केस में पेश होने से रोका जा सकता है।

NIA केवल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी नहीं, बल्कि प्रॉसिक्युशन एजेंसी भी है। यदि अदालत कमजोर सबूतों के आधार पर किसी को जमानत देना चाह रही है, तो NIA बंद लिफाफे में सबूत या अन्य जानकारी दे सकती है।

सील्ड कवर में क्या दिया गया है, इसे बताना भी जरूरी नहीं और तत्काल अदालत द्वारा जमानत रद्द कर दी जाती है।