इसलिए क्रैश हुआ CDS रावत का हेलिकॉप्टर: खराब मौसम, कम विजिबिलिटी; पहाड़ी इलाके में नीचे उड़ान भरने पर पायलट संभाल नहीं पाए चॉपर

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3 घंटे पहले

देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत का तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलिकॉप्टर क्रैश में बुधवार को निधन हो गया। इस हादसे में जनरल रावत के साथ हेलिकॉप्टर में सवार उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 11 अन्य सैन्यकर्मियों की भी मौत हो गई, जबकि एक ग्रुप कैप्टन की हालत गंभीर है।

चश्मदीदों के मुताबिक, हेलिकॉप्टर ने नीचे गिरते ही धमाके के साथ तेज आग पकड़ ली थी।

चश्मदीदों के मुताबिक, हेलिकॉप्टर ने नीचे गिरते ही धमाके के साथ तेज आग पकड़ ली थी।

इस हेलिकॉप्टर हादसे की वजह खराब मौसम को माना जा रहा है। सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, वेलिंगटन का हेलिपैड घने जंगल और पहाड़ी इलाके के बाद पड़ता है। कुन्नूर के इस इलाके में अधिकतर मौसम खराब ही रहता है और लो विजिबिलिटी की समस्या बनी रहती है, जिसके चलते हेलिकॉप्टर को कम ऊंचाई पर उड़ाना पड़ता है। माना जा रहा है कि इसी खराब मौसम और लो विजिबिलिटी की वजह से ही हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ है।

स्थानीय ग्रामीणों ने बचाव की कोशिश की, लेकिन आग के कारण नाकाम हो गए।

स्थानीय ग्रामीणों ने बचाव की कोशिश की, लेकिन आग के कारण नाकाम हो गए।

गहरी धुंध फैली थी एक्सीडेंट के समय स्पॉट पर
हेलिकॉप्टर के एक्सीडेंट के समय घटनास्थल के करीब मौजूद चश्मदीदों ने भी बताया है कि उस समय पूरा इलाका गहरी धुंध से भरा हुआ था। हालांकि Mi-17V5 हेलिकॉप्टर में ऐसे घने कोहरे में भी आसानी से उड़ान भरने के लिए पर्याप्त सेंसर और रडार की व्यवस्था है, लेकिन माना जा रहा है कि कोहरे से बचने के लिए हेलिकॉप्टर को नीचे उड़ाने के दौरान पहाड़ी इलाके में कुछ ऐसा हुआ, जिससे हेलिकॉप्टर पायलट के कंट्रोल से बाहर हो गया।

बचाव दलों के पहुंचने तक हेलिकॉप्टर में सवार लगभग सभी लोग जलकर मर चुके थे।

बचाव दलों के पहुंचने तक हेलिकॉप्टर में सवार लगभग सभी लोग जलकर मर चुके थे।

लैंडिंग पॉइंट से दूरी कम होने की वजह से भी हेलिकॉप्टर काफी नीचे था। नीचे घने जंगल थे, इसलिए क्रैश लैंडिंग भी फेल हो गई। एयरफोर्स के सूत्रों का कहना है कि इस हेलिकॉप्टर के पायलट ग्रुप कैप्टन रैंक के अधिकारी थे। ऐसे में मानवीय भूल की आशंका न के बराबर है। हेलिकॉप्टर ट्विन इंजन वाला था। ऐसे में अगर एक इंजन फेल हो जाता तो भी बाकी बचे दूसरे इंजन से लैंडिंग की जा सकती थी।

ऊंचा-नीचा इलाका होने से बचाव अभियान चलाने में भी मुश्किल हुई।

ऊंचा-नीचा इलाका होने से बचाव अभियान चलाने में भी मुश्किल हुई।

एक्सपर्ट बोले- वेलिंगटन का हेलिपैड लैंडिंग के लिए मुश्किल स्पॉट
एक्सपर्ट ने बताया कि वेलिंगटन का हेलिपैड लैंडिंग के लिए आसान नहीं है। जगंल हैं और फिर पहाड़ है। इनकी वजह से पायलट को हेलिपैड दूर से दिखाई नहीं देता। काफी नजदीक आने पर ही हेलिपैड नजर आता है। ऐसे में जब खराब मौसम के दौरान पायलट ने लैंडिग की कोशिश की होगी तो बादलों की वजह से विजिबिलिटी कम हो गई होगी। उसे हेलिपैड सही तरह नजर नहीं आया होगा और हादसा हो गया।

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