अल नीनो के कारण 4 साल बाद 6% कम बारिश: 5 दशकों में बाढ़ की घटनाएं 4 गुना बढ़ीं; इस बार ठंड के दिन कम हो सकते हैं

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नई दिल्लीएक घंटा पहले

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हिमाचल प्रदेश में शनिवार को लेह-मनाली हाईवे पर बर्फबारी हुई। इसके बाद हाईवे बंद कर दिया गया। बर्फ साफ करने के बाद हाईवे को खोला गया।

देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से से मानसून की विदाई हो गई है। ये विदाई 25 सितंबर से शुरू हुई और 30 सितंबर तक समूचे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली के साथ जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान से विदा हो गया।

चार साल लगातार सामान्य या अधिक बारिश वाले मानसून के बाद इस बार मानसून 6% कम बारिश के साथ खत्म हुआ है। हालांकि, अल नीनो के बावजूद इस मानसून में 94% बारिश हुई।

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अल नीनो के दौरान आमतौर पर सूखा पड़ता है या यूं कहें कि 10 से 25% तक कम बारिश दर्ज होती है।

वहीं, बीते पांच दशकों में देश में मानसूनी बारिश के चलते बाढ़ आने की घटना चार गुना बढ़ी हैं। 1970 और 2004 के बीच हर साल औसतन तीन भीषण बाढ़ आईं, लेकिन 2005 के बाद सालाना औसतन 11 बाढ़ आ रही हैं। इससे फसलों पर भी असर होने की संभावना है।

मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि सभी मौसम मॉडल संकेत दे रहे हैं कि अल नीनो उत्तरी गोलार्ध की सर्दियों में यानी 2023-24 तक बना रहेगा।

दिसंबर 2023 से मार्च 2024 तक मध्यम से तीव्र अल नीनो की संभावना 95% से अधिक है। इसलिए यह आशंका है कि इस बार सर्दियों के दिन कम रहेंगे। जितने दिन सर्दी रहेगी, उनमें भी सर्द हवाएं कम चलेंगीं।

मौसम विभाग के मुताबिक, इस बार बारिश 96% से 104% के बीच रही।

मौसम विभाग के मुताबिक, इस बार बारिश 96% से 104% के बीच रही।

जानिए कैसे कम हुआ अल नीनो का असर
डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि इस बार तीन बड़ी मौसमी घटनाओं ने अल नीनो के असर को कम कर दिया। ये घटनाएं पॉजिटिव IOD (इंडियन ओशन डायपोल), MJO (मैडन जुलियन ओसिलेशन) और जुलाई-सितंबर में सामान्य से ज्यादा संख्या में बना लो प्रेशर सिस्टम थीं।

इस साल देश में 6% कम हुई बारिश

IMD के मुताबिक, दिल्ली में इस बार मानसून सीजन में 660 मिमी बारिश हुई। सामान्य रूप से राजधानी में 653 मिमी बारिश होती है।

IMD के मुताबिक, दिल्ली में इस बार मानसून सीजन में 660 मिमी बारिश हुई। सामान्य रूप से राजधानी में 653 मिमी बारिश होती है।

उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य, दक्षिण में कम बारिश
उत्तर पश्चिम भारत में 587.6 मिमी सामान्य बारिश होती है, जबकि इस साल 593 मिमी यानी 1 फीसदी ज्यादा बारिश हुई। मध्य भारत, जहां कृषि मुख्य रूप से मानसूनी बारिश पर निर्भर करती है, वहां 978 मिमी सामान्य बारिश होती है, जबकि इस साल 981.7 मिमी बारिश हुई। वहीं, दक्षिण में सामान्य से 8% कम बारिश दर्ज की गई।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मैटियोरोलॉजी के क्लाइमेट साइंटिस्ट डॉ. रॉक्सी मैथ्यू कोल का कहना है कि जमीन और समुद्री सतह का तापमान बढ़ने से कई इलाकों में भारी बारिश हो रही है।

अगले 24 घंटे कैसे रहेंगे..

यहां तेज बारिश होगी : बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल।

यहां हल्की बारिश होगी : सिक्किम, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, तेलंगाना और तमिलनाडु।

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