अजित पवार गुट के विधायक अयोग्य नहीं: स्पीकर ने सभी याचिकाओं को खारिज किया, बोले- अजित गुट ही असली NCP

मुंबईकुछ ही क्षण पहले

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महाराष्ट्र स्पीकर राहुल नार्वेकर को सुप्रीम कोर्ट ने NCP विधायकों की अयोग्यता पर 15 फरवरी तक फैसला सुनाने का आदेश दिया था।

नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के विधायकों की अयोग्यता के मामले में महाराष्ट्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर फैसला सुना दिया है। उन्होंने विधायकों को योग्य बताते हुए उनके खिलाफ सभी याचिकाओं को रद्द कर दिया है। उन्होंने अजित गुट को असली NCP भी बताया। अजित पवार के पास 41 विधायकों का समर्थन है।

दरअसल, जुलाई 2023 में शरद पवार की NCP तोड़कर अजित पवार भाजपा सरकार के गठबंधन में शामिल हो गए थे। इसके बाद शरद गुट ने स्पीकर से पार्टी तोड़ने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी।

इसे लेकर अजित गुट ने दावा किया था कि उनके पास 41 विधायकों का समर्थन है। उन्होंने अपने गुट को असली NCP बताया था। 5 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने भी अजित के गुट को ही असली NCP बताया और शरद पवार गुट की पार्टी का नाम NCP शरद चंद्र पवार फाइनल किया।

स्पीकर के आदेश की प्रमुख बातें

  • शरद पवार के हिसाब से नहीं चलने का मतलब यह नहीं है कि विधायकों ने पार्टी विरोधी काम किया है। पार्टी के अंदर की नाराजगी का मतलब विधान मंडल की नाराजगी नहीं होती।
  • पार्टी में मतभेद हुआ, लेकिन विधायकों ने पार्टी नहीं छोड़ी। पार्टी संविधान के अनुसार NCP वर्किंग कमेटी सर्वोच्च संस्था है। इसमें 16 स्थायी सदस्य हैं। पार्टी का संविधान स्थायी सदस्यों को इजाजत नहीं देता। हमें नेतृत्व संरचना, पार्टी संविधान और विधायकी की ताकत को देखकर तय करना होगा कि पार्टी किसकी है। पार्टी संविधान और नेतृत्व संरचना में कोई स्पष्टता नहीं है।
  • शरद पवार गुट ने दावा किया कि उनके पास बहुमत है, लेकिन 29 जून तक शरद पवार के अध्यक्ष पद पर कोई चैलेंज नहीं था। 30 जून को दो लोगों का अध्यक्ष पद पर दावा हुआ। 30 जून 2023 को NCP में दो गुट बने।
  • शिवसेना को लेकर मैंने जो फैसला लिया था, उसका आधार यहां लेना होगा। दोनों गुट पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर दावा कर रहे हैं। दोनों गुट दावा कर रहे हैं कि अध्यक्ष का चुनाव पार्टी के संविधान के मुताबिक नहीं हुआ है। यहां दो समानांतर नेतृत्व खड़े हो गए हैं। दोनों समूहों द्वारा अयोग्यता याचिकाएं भी दायर की गई हैं। अपना अध्यक्ष कैसे सही है इसलिए दोनों गुटों ने दस्तावेज दिए है।
  • अध्यक्ष कौन है यह मैं तय नहीं कर सकता। प्रतिनिधि सभा के दस्तावेज शरद पवार गुट ने नहीं दिए है। अध्यक्ष पद का चयन पार्टी में संविधान के तहत नहीं हुआ। ऐसे में विधायकों के संख्या बल के आधार पर निर्णय लिया गया।

शरद की 3 और अजित की 2 याचिकाएं थीं
शरद पवार गुट की तरफ से 3 और अजित पवार गुट की तरफ से 2 याचिका दायर की गई थीं। सभी 5 याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं। सुनवाई में अजित पवार गुट की तरफ से अनिल पाटिल और समीर भुजबल मौजूद रहे, जबकि शरद पवार गुट से पहले सिर्फ वकील ही आए थे। बाद में जितेंद्र आहवाड भी आ गए थे।

उद्धव गुट बोला- सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुला है
शिवसेना (उद्घव बालासाहेब ठाकरे) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा- कितना हास्यास्पद है। पहले शिवसेना को लेकर ऐसा ही निर्णय और अब NCP को लेकर भी समान निर्णय।
कोई बात नहीं अभी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुला है। वहां हम सब को न्याय जरूर मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी से पहले स्पीकर को फैसला सुनाने को कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी को राहुल नार्वेकर को बागी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने के लिए 15 फरवरी तक का समय दिया था। डिप्टी सीएम अजित पवार के गुट से जुड़े NCP विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका शरद पवार गुट की तरफ से दाखिल की गई थी।

राहुल नार्वेकर की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में दलील दी थी कि अयोग्यता की याचिकाओं पर आदेश देने के लिए कुछ और समय लगेगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इन दलीलों को मान लिया था। इससे पहले, कोर्ट ने इस फैसले को करने के लिए स्पीकर को 31 जनवरी तक का समय दिया था। पूरी खबर पढ़ें…

अजित पवार ने शरद से नाता तोड़ा
अजित पवार पिछले साल 2 जुलाई को NCP के आठ विधायकों के साथ भाजपा-शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए थे। इसी दिन शिंदे सरकार में अजित ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद NCP दो धड़ों में बट गई थी। एक गुट अजित पवार और दूसरा शरद पवार का हो गया था।

2 जुलाई को राजभवन में डिप्टी CM पद की शपथ लेने के बाद अजित पवार।

2 जुलाई को राजभवन में डिप्टी CM पद की शपथ लेने के बाद अजित पवार।

9 जनवरी को स्पीकर ने शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायकों की सदस्यता बरकरार रखी थी
इससे पहले स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 9 जनवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत उनके गुट के 16 विधायकों की योग्यता पर फैसला सुनाया था। उन्होंने इस फैसले में शिंदे गुट को असली शिवसेना बताते हुए सभी विधायकों की सदस्यता बरकरार रखी थी। इसके साथ ही स्पीकर ने उद्धव गुट के 14 विधायकों की सदस्यता भी बरकरार रखी।

फैसले की 3 अहम बातें…

  • शिंदे के पास शिवसेना के 55 में से 37 विधायक, उनका गुट ही असली शिवसेना। चुनाव आयोग ने भी यही फैसला दिया था।
  • शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटाने का फैसला उद्धव का था, पार्टी का नहीं। शिवसेना संविधान के अनुसार वे अकेले किसी को पार्टी से नहीं निकाल सकते।
  • शिंदे गुट की तरफ से उद्धव गुट के 14 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग खारिज। शिंदे गुट ने केवल आरोप लगाए, उनके समर्थन में सबूत नहीं दिए।

ठाकरे बोले- हमारी लड़ाई जारी रहेगी
शिंदे गुट को असली शिवसेना बताए जाने के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि स्पीकर के फैसले से सुप्रीम कोर्ट की अवमानना हुई है। नतीजा मैच फिक्सिंग ही निकला, इसलिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ खुद संज्ञान लेकर कार्यवाही करे। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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