वायनाड लैंडस्लाइड, 4 दिन बाद बचाए गए 4 आदिवासी बच्चे: रेस्क्यू टीम ने हथेली में भरकर पानी पिलाया, शरीर से बांधकर पहाड़ से उतारा

कलपेट्‌टा7 मिनट पहले

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फॉरेस्ट की रेस्क्यू टीम में के. हशीस, बीएस जयचंद्रन, के. अनिल कुमार और अनूप थॉमस शामिल थे।

वायनाड लैंडस्लाइड के चौथे दिन शुक्रवार को एक अच्छी खबर आई। वन अधिकारियों ने 8 घंटे के ऑपरेशन में एक दूरदराज आदिवासी इलाके से 4 बच्चों समेत 6 लोगों का रेस्क्यू किया। बच्चे एक से चार साल के हैं। पनिया समुदाय का यह आदिवासी परिवार पहाड़ी की चोटी पर एक गुफा में फंसा था।

न्यूज एजेंसी PTI से बातचीत में कलपेट्‌टा रेंज के फॉरेस्ट ऑफिसर हशीस ने बताया- हमने गुरुवार को मां और 4 साल के बच्चे को जंगल के पास भटकते देखा।

पूछताछ में उसने अपना नाम शांता बताया। उसने कहा कि वे लोग चूरलमाला के एराट्टुकुंडु ऊरु (बस्ती) में रहते हैं। उसके 3 और बच्चे, उनके पिता भूखे-प्यासे पहाड़ी पर एक गुफा में फंसे हैं।

बच्चों को बांधने के लिए टीम ने चादर के टुकड़ों का इस्तेमाल किया।

बच्चों को बांधने के लिए टीम ने चादर के टुकड़ों का इस्तेमाल किया।

फिसलन के बीच 8 घंटे का रेस्क्यू
हशीस ने बताया- हमने 4 लोगों की रेस्क्यू टीम बनाई। भारी बारिश के बीच फिसलन भरी और खड़ी चट्टानों से होकर टीम ने 8 घंटे की कोशिश के बाद इन्हें निकाला। फिसलन भरी चट्टानों पर चढ़ने के लिए पेड़ों से रस्सियां बांधनी पड़ीं।

जब हम गुफा के पास पहुंचे तो तीन बच्चे और एक शख्स वहां बैठे हुए थे। हमने उन्हें अपने पास बुलाया। वे सामने नहीं आ रहे थे। काफी समझाने के बाद उनके पिता हमारे साथ आने के लिए राजी हो गए। हमने बच्चों को अपने शरीर से बांध लिया और वापस अपनी यात्रा शुरू कर दी।

टीम ने बच्चों को पहले अपने सीने से कपड़े के सहारे बांधा, बाद में इन्हें लेकर रस्सियों के सहारे फॉरेस्ट ऑफिस तक आई।

टीम ने बच्चों को पहले अपने सीने से कपड़े के सहारे बांधा, बाद में इन्हें लेकर रस्सियों के सहारे फॉरेस्ट ऑफिस तक आई।

बाहरी लोगों से बातचीत करने से बचते हैं
हशीस ने बताया- पनिया समुदाय के ये लोग बाहरी लोगों से बातचीत करने से बचते हैं। वे आम तौर पर वन उत्पादों पर आश्रित रहते हैं और उन्हें स्थानीय बाजार में बेचकर चावल खरीदते हैं। हालांकि, ऐसा लगता है कि लैंडस्लाइड और भारी बारिश के कारण वे कई दिनों से भूखे थे।

जब वे हमारे पास आए तो हमने देखा कि बच्चे बहुत थके हुए थे। हम अपने साथ खाने-पीने का जो भी सामान ले गए थे पहले उन्हें खिलाया। पानी पिलाया और पीठ पर बांधकर पहाड़ के नीचे लाए।

फॉरेस्ट टीम को सबसे पहले एक महिला मिली, जो खाने की तलाश में थी। वही रेस्क्यू कर रहे लोगों को गुफा तक ले गई।

फॉरेस्ट टीम को सबसे पहले एक महिला मिली, जो खाने की तलाश में थी। वही रेस्क्यू कर रहे लोगों को गुफा तक ले गई।

केरल के CM ने फॉरेस्ट टीम की तारीफ की केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने शुक्रवार को इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी दी। उन्होंने लिखा- भूस्खलन प्रभावित वायनाड में हमारे साहसी वन अधिकारियों ने 8 घंटे की कोशिशों के बाद अंदरूनी इलाके से छह जानें बचाईं। वन अधिकारियों का यह जज्बा हमें याद दिलाता है कि संकट की घड़ी में भी केरल की जीवटता चमकती रहती है।

अब तक 341 लाशें मिलीं, 134 शव टुकड़ों में मिले
केरल के वायनाड में 29-30 जुलाई की रात भारी बारिश के बाद हुईं लैंडस्लाइड में मरने वालों की संख्या 341 पहुंच गई है। इन सभी शवों का पोस्टमॉर्टम हो चुका है। इनमें 146 शवों की पहचान हो चुकी है। 134 लोगों के शरीर के सिर्फ टुकड़े बरामद हुए हैं।

सेना ने 1 अगस्त को मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने की जानकारी दी थी। अब सिर्फ मलबे में दबे शवों को ढूंढने का काम चल रहा है। कई जगह जमीन के अंदर मलबे में 20 से 30 फीट तक शवों के दबे होने की आशंका है। पढ़ें पूरी खबर…

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एक्सपर्ट्स ने वायनाड हादसे की चेतावनी 5 साल पहले दे दी थी, माइनिंग-कंस्ट्रक्शन हादसे की वजह

वायनाड में जो हुआ, वो तय था। पर्यावरणविद् माधव गाडगिल ने इसकी चेतावनी 5 साल पहले ही दे दी थी। 2019 में उन्होंने कहा था, ‘वेस्टर्न घाट को बुरी तरह नुकसान पहुंचा है। अगर इसे बचाने के लिए कोई एक्शन नहीं लिया गया, तो केरल में अगले 4 से 5 साल के अंदर बहुत बड़ी आपदा आ सकती है। अगर इस इलाके में भूस्खलन हुआ, तो ये नक्शे से मिट सकता है। पढ़ें पूरी खबर…

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