नई पीढ़ी के राम कथा वाचक: रामचरित मानस के साथ रामलला मंदिर निर्माण का संघर्ष भी सुनाएंगे

सागर9 मिनट पहलेलेखक: संदीप तिवारी

  • कॉपी लिंक

फोटो | मनुज नामदेव

गढ़ाकोटा में सुनार नदी के घाट पर बैठकर साधना कर रहे ये बटुक शास्त्रार्थ के साथ रामकथा में भी पारंगत हो रहे हैं। ये सभी श्रीगणेश संस्कृत महाविद्यालय गढ़ाकोटा में अध्ययनरत हैं। इनकी संख्या 252 हैं। इन्हें रामचरित मानस, रामायण के साथ ही अयोध्या में राम मंदिर का इतिहास, उसके टूटने, बनने, रामलला के विराजमान हाेने तक चले संघर्षों के बारे में भी विस्तार से समझाया जा रहा है।

महाविद्यालय के संस्थापक एवं संचालक पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि इसके पीछे उद्देश्य यही है कि ये बटुक जब कथा वाचक बनकर यहां से निकलें तो लोगों को भगवान श्रीराम की जीवन लीला सुनाते हुए उन्हें अपने जीवन में ढालने की प्रेरणा देंगे, साथ ही यह भी सिखाएंगे कि जब सनातन पर हमले हों तो उन्हें किस तरह से संघर्ष करते हुए अपने धर्म और धार्मिक स्थलों की रक्षा कर पुनर्स्थापित करना है।

तीसरे साल से कथा सिखाते हैं, गुरुकुल की तर्ज पर निशुल्क संचालित

गढ़ाकोटा में संस्कृत विद्यालय की स्थापना 2008 में पूर्व मंत्री भार्गव ने की। 2021 से इसने महाविद्यालय का रूप ले लिया। यह गुरुकुल की तर्ज पर चलता है। यहां रहना, पढ़ना सबकुछ निशुल्क है। यहां के बटुक विदेशाें में जाकर सनातन को आगे बढ़ाएं, इसके लिए यहां अंग्रेजी और कंप्यूटर की शिक्षा विशेष तौर पर दी जा रही है। प्रवेश लेने के तीसरे ही साल से कथा करना सिखाया जाने लगता है। पांचवें साल से ये बटुक पारंगत होना शुरू हो जाते हैं।

खबरें और भी हैं…