आंखों की रोशनी बढ़ाने वाली दवा कंपनी का लाइसेंस रद्द: दावा था- कमजोर नजर वाले बिना चश्मा देख-पढ़ सकेंगे, गलत प्रचार का आरोप

1 मिनट पहले

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कंपनी का दावा था कि, यह प्रेसबायोपिया (बढ़ती उम्र के बाद नजदीक की नजर कमजोर हो जाना) से पीड़ित लोगों को फायदा पहुंचाती है।

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने बुधवार को प्रेस्वू नाम के आई ड्रॉप की मैन्यूफैक्चरिंग और मार्केटिंग लाइसेंस को रद्द कर दिया है। इस आईड्रॉप को मुंबई स्थित दवा निर्माता कंपनी एंटोड फार्मास्यूटिकल्स ने बनाया था।

कंपनी का दावा था कि, यह प्रेसबायोपिया (बढ़ती उम्र के बाद नजदीक की नजर कमजोर हो जाना) से पीड़ित लोगों को फायदा पहुंचाती है। आईड्रॉप को आंखों में डालने के बाद चश्मा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बिना चश्मे के भी आसानी से किताब पढ़ी जा सकती है।

पहले आईड्रॉप को अप्रूवल मिला, अब लाइसेंस सस्पेंड केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने इस दवा को कुछ दिनों पहले अप्रूव किया था। CDSCO के अप्रूवल के बाद भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने भी इस दवा को हरी झंडी दिखा दी थी। अक्टूबर में यह आईड्रॉप मार्केट में भी आने वाला था लेकिन उससे पहले इस पर रोक लग गई।

अब जानिए DCGI और दवा कंपनी का पक्ष…

DCGI बोली- दवा का गलत प्रचार किया जा रहा है, सिर्फ प्रिस्क्रिप्शन की परमीशन थी DCGI ने आईड्रॉप का लाइसेंस रद्द करने के पीछे एक बड़ी वजह बताई। अथॉर्रिटी का कहना है कि, दवा को सिर्फ प्रिस्क्रिप्शन के साथ इस्तेमाल करने की परमीशन दी गई थी। जबकि कंपनी इसका प्रचार OTC (ओवर द काउंटर) बताकर किया जा रहा था। OTC दवाईयां वो होती हैं, जिन्हें बिना किसी डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन के खरीदा जा सकता है।

दवा कंपनी बोली- हमने कुछ गलत नहीं किया, सस्पेंशन ऑर्डर को कोर्ट में चुनौती देंगे दवा कंपनी एंटोड फार्मास्यूटिकल्स ने कहा, उन्होंने प्रचार में किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी नहीं दी है। DCGI ने इस दवा को अप्रूव किया था। हमने करीब 234 पेशेंट में इसका सफल टेस्ट किया। जिन पेशेंट ने आईड्रॉप का इस्तेमाल किया। वह बिना चश्मे के पढ़ सकते थे। हम सस्पेंशन ऑर्डर को कोर्ट में चुनौती देंगे।

अब जानिए आई ड्रॉप प्रेस्वू से जुड़ी सभी सवालों के जवाब…

सवाल- नई आई ड्रॉप प्रेस्वू क्या है?

जवाब- जिन लोगों की आंखों की रोशनी कमजोर हो गई है या 40 साल की उम्र के तुरंत बाद जिन्हें चश्मा लग गया है और वे चश्मा नहीं लगाना चाहते हैं तो वे इस आई ड्रॉप का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सवाल- किस उम्र के लोग इस आई ड्रॉप का इस्तेमाल कर सकते हैं?

जवाब- 40 से 55 साल के लोग ये ड्रॉप आंखों में डाल सकते हैं।

सवाल- यह बाजार में कब उपलब्ध होगी?

जवाब- अगले महीने अक्टूबर से। लगभग दीपावली के आसपास यह मिलने लगेगी।

सवाल- इस आई ड्रॉप की कीमत क्या होगी?

जवाब- 350 रुपए।

सवाल- इस आई ड्रॉप को दिन में कितनी बार डालना होता है?

जवाब- डॉक्टर की सलाह के अनुसार दिन में एक या दो बार।

सवाल- आई ड्रॉप की कितनी बूंदें डालनी चाहिए?

जवाब- दोनों आंखों में एक-एक बूंद।

सवाल- आई ड्रॉप का असर कितनी जल्दी शुरू होता है?

जवाब- आई ड्रॉप डालने के 15 मिनट के अंदर।

सवाल- इसका प्रभाव कितने घंटे तक रहता है?

जवाब- 6 घंटे। अगर इससे ज्यादा देर तक आई ड्रॉप का प्रभाव चाहते हैं तो छह घंटे बाद फिर एक बूंद आंखों में डालें। इसका असर अगले तीन घंटे तक रहेगा। इस तरह कुल 9 घंटे तक यह आई ड्रॉप आंखों में प्रभावी रहेगी।

सवाल- क्या ये आई ड्रॉप रोज डालनी चाहिए?

जवाब- डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही आई ड्रॉप का इस्तेमाल करना है।

सवाल- क्या इस आई ड्रॉप का कोई साइड इफेक्ट भी है?

जवाब- हां. इससे आंखों का लाल होना या सिरदर्द जैसे साइड इफेक्ट दिख सकते हैं।

सवाल- आई ड्रॉप डालते समय किस बात का ध्यान रखना चाहिए?

जवाब- डॉक्टर के सारे दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए और हर दो महीने में एक बार आंखों के डॉक्टर से मिलकर आई चेकअप जरूर कराना चाहिए।

यह दवा किस तरह काम करती है जिस आई ड्रॉप्स को मंजूरी दी गई है, वह पाइलोकार्पिन युक्त दवा है। इसे मायोटिन ड्रग कहा जाता है।

जब हम आंखों में ये दवा डालते हैं तो आंखों की प्यूपिल यानी पुतलियों का आकार छोटा हो जाता है। इससे नजदीक की चीजें साफ दिखाई देने लगती हैं।

क्या इस आई ड्रॉप को डालने से चश्मा हमेशा के लिए हट जाएगा? नहीं। यह पास की नजर को बेहतर करने का, नजदीक की चीजों को स्पष्ट देखने का सिर्फ अस्थायी तरीका है। इसे डालने से न चश्मा हमेशा के लिए उतर जाता है और न ही आंखों का नंबर कम होता है। डॉक्टर भी हमेशा इस दवा के इस्तेमाल की सलाह नहीं देते हैं।

एक खास केमिकल कंपोजिशन के इस्तेमाल से इस तरह की दवाएं पहली भी निर्मित की जा चुकी हैं। अमेरिका और यूरोप के देशों में ऐसी कई आई ड्रॉप्स पहले से मौजूद हैं, जो नजदीक की नजर को कुछ वक्त के लिए साफ कर देती हैं। लेकिन दुनिया में कहीं भी स्थायी रूप से इस दवा का इस्तेमाल नहीं किया जाता। डॉक्टर भी इसकी सलाह नहीं देते।

क्या इस दवा के कुछ साइड इफेक्ट भी हैं? जैसा कि हर ड्रग का कुछ-न-कुछ साइड इफेक्ट होता ही है, वैसे ही इस दवा का भी साइड इफेक्ट है। इसके इस्तेमाल से आंखें लाल हो सकती हैं, कई बार सिर में दर्द या चक्कर जैसा महसूस हो सकता है। चूंकि यह दवा आंखों की पुतलियों को छोटा करती है तो लंबे समय तक लगातार इसके इस्तेमाल से आंखों की पुतलियों का आकार परमानेंट छोटा भी हो सकता है। फिर किसी भी तरीके से इन्हें वापस चौड़ा नहीं किया जा सकता है।

ऐसे में मान लीजिए कभी भविष्य में आंखों का कोई ऑपरेशन करना हो या मोतियाबिंद की सर्जरी करवानी हो तो उसके लिए पुतली को फैलाना मुश्किल हो सकता है।

रात के समय आंखों में यह दवा न डालने की सलाह क्यों दी जाती है

इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि रात में इस दवा को डालने के बाद देखने में परेशानी हो सकती है।

आसान तरीके से इसे कुछ यूं समझिए। मान लीजिए कि आप अपने कैमरे से एक फोटो क्लिक कर रहे हैं। अगर आप कम रौशनी में या अंधेरे में फोटो खींच रहे हैं तो कैमरे का फ्लैश ज्यादा तेज चमकेगा, शटर ज्यादा खुलेगा। वहीं अगर आप दिन में या ज्यादा रौशनी में फोटो खींच रहे हैं तो फ्लैश और शटर दोनों को कम काम करना पड़ेगा।

कुछ वैसा ही हाल हमारी आंखों का भी है, जो बिलकुल किसी कैमरे की तरह काम करती हैं। दिन के उजाले में आंखों की पुतलियां सिकुड़ जाती हैं और अंधेरे में फैलकर बड़ी हो जाती हैं ताकि हम आसानी से देख सकें।

चूंकि इस आई ड्रॉप को डालने से पुलतियों का आकार छोटा होता है तो इसे डालने के बाद रात में, कम रौशनी में या अंधेरे में आंखों पर जोर पड़ेगा और देखने में परेशानी होगी। इनफैक्ट पुतलियां वापस कम रौशनी के चलते अपना आकार बढ़ा नहीं पाएंगी।

इसलिए रात में और अंधेरे में इसके इस्तेमाल की सलाह नहीं दी जाती। रात में पढ़ने या नजदीक के काम करने के लिए चश्मा लगाना ही बेहतर उपाय है।

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